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जेएनयू की पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष और एक्टिविस्ट शेहला रशीद ने चुनावी राजनीति छोड़ने का ऐलान किया है. शेहला ने ट्विटर पर बयान जारी कर कहा कि कश्मीर में लॉकडाउन के बीच सरकार के ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (BDC) चुनाव करवाने के फैसले ने उन्हें राजनीति छोड़ने को मजबूर कर दिया है. बीडीसी चुनाव को दिखावा बताते हुए शेहला ने कहा, ‘पिछले दो महीने से कश्मीर के लोग बंदिश झेल रहे हैं और सरकार चुनाव करा रही है ताकि दुनिया को दिखा सके कि घाटी में सब नॉर्मल है.’
शेहला राशिद ने कहा कि ऐसे में, इसके खिलाफ बोलना और चुनावी राजनीति पर अपना स्टैंड रखना उनकी नैतिक जिम्मेदारी है.
शेहला ने अपने बयान में भारत सरकार पर कश्मीर में बच्चों को अगवा करने का भी आरोप लगाया.
शेहला राशिद ने कहा कि वो इसलिए राजनीति में आईं थीं क्योंकि उनका मानना था कि ‘जस्टिस और अच्छा प्रशासन संभव है, और जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा के मुताबिक कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भी काम करना है.’ शेहला ने लिखा कि ये सब मुमकिन था, अगर भारत सरकार कानून का सम्मान करती.
शेहला राशिद ने कहा कि वो एक्टिविस्ट बनी रहेंगी और अनन्याय के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेंगी.
शेहला राशिद पर पिछले महीने दिल्ली में देशद्रोह का केस दर्ज किया गया था. शेहला पर जम्मू-कश्मीर में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के बारे में फर्जी खबरें फैलाने का आरोप है. दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल ने कहा कि तीन सितंबर को FIR दर्ज किया गया और शेहला की गिरफ्तारी की मांग करने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील आलोक श्रीवास्तव की शिकायत पर एक आपराधिक शिकायत के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया.
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Published: 09 Oct 2019,05:09 PM IST