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शिवसेना के मुखपत्र सामना में एक बार फिर मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को लेकर बीजेपी पर हमला बोला है. सामना के संपादकीय में लिखा हैृ- ‘मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह भरोसे लायक अधिकारी बिल्कुल नहीं हैं. उन पर विश्वास नहीं रखा जा सकता है, ऐसा मत कल तक भारतीय जनता पार्टी का था लेकिन उसी परमबीर सिंह को आज बीजेपी सिर पर बैठाकर नाच रही है. पुलिस आयुक्त पद से हटते ही परमबीर सिंह साहेब ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा. उसमें वे कहते हैं, गृहमंत्री देशमुख ने सचिन वझे को हर महीने 100 करोड़ रुपए जुटाने का ‘टारगेट’ दिया था.’
सामना में आगे लिखा है- ‘सचिन वझे को हटाकर क्या फायदा? पुलिस आयुक्त को हटाओ’, बीजेपी की यही मांग थी. अब उसी परमबीर सिंह को भाजपावाले कंधे पर उठाकर बाराती की तरह मस्त होकर नाच रहे हैं. यह राजनैतिक विरोधाभास है .परमबीर सिंह के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की है इसलिए उनकी भावनाओं का विस्फोट समझ सकते हैं. परंतु सरकारी सेवा में अत्यंत वरिष्ठ पद पर विराजमान व्यक्ति द्वारा ऐसा पत्राचार करना नियमोचित है क्या? गृहमंत्री पर आरोप लगानेवाला पत्र मुख्यमंत्री को लिखा जाए और उसे प्रसार माध्यमों तक पहुंचा दिया जाए, यह अनुशासन के तहत उचित नहीं है.’’
सामना में आगे लिखा है- मुंबई के 1750 बार-पब में से ये पैसे जुटाए जाएं, ऐसा गृहमंत्री का कहना था. लेकिन बीते करीब डेढ़ सालों में मुंबई-ठाणे के पब-बार कोरोना के कारण बंद ही हैं, इसलिए इतना पैसा कहां से एकत्रित होगा, ये सवाल ही है. परमबीर सिंह को थोड़ा संयम रखना चाहिए था. उस पर सरकार को परेशानी में डालने के लिए परमबीर सिंह का कोई इस्तेमाल कर रहा है क्या? ऐसी शंका भी है,
असल में जिस सचिन वझे के कारण ये पूरा तूफान खड़ा हुआ है, उन्हें इतने असीमित अधिकार दिए किसने? सचिन वझे ने बहुत ज्यादा उधम मचाया. उसे समय पर रोका गया होता तो मुंबई पुलिस आयुक्त पद की प्रतिष्ठा बच गई होती. परंतु इस पूर्व आयुक्त द्वारा कुछ मामलों में अच्छा काम करने के बावजूद वाझे प्रकरण में उनकी बदनामी हुई. वझे पर मनसुख हिरेन की हत्या का आरोप लगा है.
एनआईए इस पूरे प्रकरण में परमबीर सिंह को जांच के लिए बुला सकती है, ऐसा कहा जा रहा है। गृहमंत्री अनिल देशमुख ने अब स्पष्ट कर दिया है कि अंबानी के घर के बाहर मिले विस्फोटकों के मामले में, साथ ही मनसुख हिरेन हत्या मामले में सचिन वझे की भूमिका स्पष्ट हो रही है. इस प्रकरण के तार परमबीर सिंह तक पहुंचेंगे ऐसी आशंका जांच में सामने आने से परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए इस तरह के आरोप लगाए हैं, यह सत्य होगा तो इस पूरे प्रकरण में भाजपा, सरकार को बदनाम करने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही है. सरकार को सिर्फ बदनाम ही करना है, ऐसा नहीं है बल्कि सरकार को मुश्किल में डालना है, ऐसी उनकी नीति है.
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