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सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की सीबीआई जांच को लेकर महाराष्ट्र और बिहार सरकार के बीच तनातनी चल रही है. बिहार सरकार की सिफारिश पर केंद्र ने जांच अब सीबीआई को सौंप दी है. हालांकि, महाराष्ट्र सरकार इसका विरोध कर रही है और उसका कहना है कि राज्य की पुलिस इसमें सक्षम है. अब शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के जरिए बिहार सरकार पर हमला बोला गया है.
महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार में एनसीपी और कांग्रेस के अलावा तीसरी पार्टी शिवसेना के मुखपत्र सामना में कहा गया कि बिहार सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था. 'सामना' में एक आर्टिकल में कहा गया, "पिछले कुछ सालों से सुशांत मुंबईकर थे. मुंबई ने उन्हें शोहरत दी थी और उनके स्ट्रगल के दिनों में बिहार उनके साथ नहीं खड़ा था."
‘सामना’ में कहा गया कि मुंबई पुलिस इस मामले की जांच कर रही थी और दूसरे राज्य को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए था.
आर्टिकल में बिहार पुलिस के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे की भी आलोचना की गई. लोकल मीडिया के हवाले से पांडे पर बीजेपी और जेडीयू से टिकट लेने का आरोप लगते हुए कहा गया, "इस बात पर हंसी आती है कि जिसने बीजेपी की उम्मीदवारी ली है, वो अब मुंबई पुलिस पर सवाल उठा रहा है."
'सामना' में कहा गया कि सीबीआई केंद्रीय एजेंसी है, लेकिन वो 'स्वतंत्र और निष्पक्ष' नहीं है. आर्टिकल में कहा गया कि गोधरा हादसे के बाद गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी सीबीआई जांच के पक्ष में नहीं थे.
'सामना' के आर्टिकल में सुशांत और उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत के मामलों को आपस में जोड़ने की भी आलोचना की गई. आर्टिकल में कहा गया, "दोनों मामले पूरी तरह से अलग हैं लेकिन नेता इन्हें जोड़ रहे हैं. दिशा सालियन के साथ बलात्कार का आरोप बीजेपी के एक नेता लगा रहे हैं. ऐसा करते समय उन्होंने दिशा के परिवार के बारे में सोचा नहीं होगा."
शिवसेना नेता संजय राउत ने दावा किया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार को बदनाम करने के लिए बीजेपी मीडिया के एक वर्ग की मदद लेकर साजिश रच रही है. राउत ने संदेह जताया कि पूरा मामला सुनियोजित था और विपक्ष ने इस मामले को आदित्य ठाकरे से केवल इसलिए जोड़ा, क्योंकि उनके कई बॉलीवुड सेलिब्रिटीज के साथ अच्छे संबंध हैं.
राउत ने कहा, "सुशांत और उनके पिता के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध नहीं थे, क्योंकि वो पिता के दोबारा शादी के फैसले से परेशान थे. उन्हें बिहार पुलिस में एफआईआर दर्ज करने के लिए उकसाया गया था."
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