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शिवसेना ने जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई के बाद बीजेपी पर निशाना साधा है. पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में सवाल उठाया गया है कि कन्हैया को इतनी जल्दी जमानत कैसे मिल गई?
संपादकीय में कहा गया है, “आज छोटी से छोटी चीज की कीमत चुकानी पडती है. पीएफ में बचत की राशि जमा करने वाले कामकाजी वर्ग के लोगों और श्रमिकों की कमाई पर भी अब कर लगेगा. संक्षेप में, सरकार ने लोगों को केवल यह दिखाया है कि कुछ भी मुफ्त नहीं दिया जाएगा.’’
शिवसेना ने कहा कि गुजरात में पटेल समुदाय के लिए आरक्षण की मांग के आंदोलन का नेतृत्व करने वाला हार्दिक पटेल ‘देशद्रोह’ का आरोप लगने के बाद अब भी सलाखों के पीछे है और वही स्थिति कर्नल पुरोहित तथा साध्वी प्रज्ञा की है.
शिवसेना ने कहा कि जब ये लोग अभी तक जेल में हैं, तो कन्हैया को इतनी आसानी से जमानत कैसे मिल गई? क्या उसे जेल में रखना सरकार के लिए मुसीबत बन गया था और उसे सरकार को कई प्रश्नों का जवाब देना पड़ता?
इस संपादकीय में कन्हैया की जीभ काटने वाले को पांच लाख रुपए का पुरस्कार देेने की घोषणा करने वाले बीजेपी नेता कुलदीप वार्ष्णेय का भी जिक्र किया गया है.
कुलदीप वार्ष्णेय का आरोप है कि कन्हैया जमानत पर रिहा होने के बाद से बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोल रहा है. दिल्ली में लगाए गए एक पोस्टर में कन्हैया को ‘‘गोली मारने’’ वाले व्यक्ति को 11 लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की गई है.
शिवसेना ने कहा, “राजनेताओं का एकमात्र लक्ष्य चुनाव जीतना और सरकार गठित करना है. चुनाव से पहले किए गए वादे हवा में उड़ जाते हैं और किसान, मजदूर, श्रमिक वर्ग और छात्र इसके कारण पीड़ित हो रहे हैं. यदि ऐसा जारी रहता है तो देश के भीतर मानव बम बनने लगेंगे. राजनीतिक खेल के लिए इन युवाओं का इस्तेमाल होगा.’’
देशद्रोह के मामले में 12 फरवरी को गिरफ्तार किए गए कन्हैया को दिल्ली हाईकोर्ट ने 3 मार्च को 6 महीने के लिए अंतरिम जमानत दी है.
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