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निर्देशक रामानंद सागर के श्री कृष्णा धारावाहिक के 3 मई के प्रथम एपिसोड में श्री कृष्ण भक्ति, भक्त और उनकी लीला के संबंध में बताया जाता है. इसी बीच श्रीकृष्ण जीवन की एक झांकी प्रस्तुत की जाती है. श्री राधा से श्रीकृष्ण के विछोह को बताया जाता है. इसके बाद श्रीकृष्ण का वह जीवन बताया जाता है जो महाभारत से जुड़ा है.
कुरुक्षेत्र में विराट रूप और गीता का ज्ञान से लेकर उनके निज धाम जाने तक के घटनाक्रम को बताया जाता है. रवींद्र जैन के संगीत में उनके इस रूप का बखान किया जा रहा है. कृष्ण को प्रेम का अवतार भी कहते हैं. इस अवतार को सिद्ध करने लिए श्री कृष्ण ने राधा के साथ मोहक प्रेम किया. यही कारण है कि श्रीकृष्ण की रासलीला और प्रेम लीला को काफी लोग पूजते हैं.
राधा और कृष्ण के बीच वह संवाद आता है जब कृष्ण वृंदावन छोड़कर जाने वाले होते हैं. राधा कहती हैं- आपको अपनी लीला और आपका कर्तव्य तो राधा से भी प्यारा है. लेकिन राधा के लिए सारे कर्तव्य सारे कार्य और उसकी सारी पूजा कृष्ण के चरणों में ही अर्पित है. आपके जाने के पश्चात वृंदावन में केवल राधा की भस्म ही रह जाएगी.
राजा परीक्षित आखेट हेतु वन में जाते हैं. वन्य पशुओं के पीछे दौड़ने के कारण वे प्यास से व्याकुल हो गये तथा जलाशय की खोज में इधर उधर घूमते घूमते वे शमीक ऋषि के आश्रम में पहुँचते हैं. वहां पर शमीक ऋषि नेत्र बंद किए हुए तथा शान्तभाव से एकासन पर बैठे हुए ब्रह्मध्यान में लीन होते हैं.
राजा परीक्षित ने उनसे जल मांगा किन्तु ध्यानमग्न होने के कारण शमीक ऋषि ने कुछ भी उत्तर नहीं दिया. सिर पर स्वर्ण मुकुट पर निवास करते हुए कलियुग के प्रभाव से राजा परीक्षित को प्रतीत हुआ कि यह ऋषि ध्यानस्थ होने का ढोंग कर के मेरा अपमान कर रहा है.
उन्हें ऋषि पर बहुत क्रोध आया. उन्होंने अपने अपमान का बदला लेने के उद्देश्य से पास ही पड़े हुए एक मृत सर्प को अपने धनुष की नोंक से उठा कर ऋषि के गले में डाल दिया और अपने नगर वापस आ गये.
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