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Siddique Kappan Interview: सिद्दिक ने बताया आखिर क्यों उन्हें टारगेट बनाया गया

सिद्दीकी कप्पन ने द क्विंट से एक इंटरव्यू में 28 महीने जेल में बिताने के अपने अनुभव के बारे में बात की.

फातिमा खान
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>जेल में क्या होता था, सिद्दीक कप्पन ने द क्विंट से बताया</p></div>
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जेल में क्या होता था, सिद्दीक कप्पन ने द क्विंट से बताया

फोटोः क्विंट हिंदी

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"आप कितनी बार पाकिस्तान गए?"

"आप कितनी बार जाकिर नाइक से मिले?"

"तुम्हारी कितनी गर्लफ्रेंड हैं?"

"क्या आप गोमांस खाते हैं?"

सिद्दीकी कप्पन कहते हैं कि ये सब सवाल उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनसे पिछले ढाई साल में पूछा था. 3 फरवरी को कप्पन 28 महीने जेल में बिताने के बाद, UAPA के गंभीर आरोप से लड़ते हुए लखनऊ जेल से बाहर आए हैं.

द क्विंट के साथ एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कप्पन ने अपनी गिरफ्तारी, जेल के अनुभव, पत्रकारिता के खतरे और अपनी निजी जिंदगी के बारे में बात की.

'क्वारंटीन सेंटर में राहत के लिए सिर्फ बाल्टी'

कप्पन को 5 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया गया था, जब वह और दो अन्य यूपी के हाथरस जा रहे थे. कप्पन एक 20 वर्षीय दलित महिला के जघन्य गैंगरेप को कवर करना चाहते थे, जब उनकी कार को यूपी पुलिस ने रोक लिया था.

चालक समेत सभी लोगों को पूछताछ के लिए पुलिस थाने ले जाया गया. उन्होंने पूछा, "केरल का पत्रकार कौन है?" मैंने कहा मैं हूं. इसके बाद वे मुझसे पूछताछ करने लगे. "आप कितनी बार पाकिस्तान गए हैं?" "आप कितनी बार जाकिर नाइक से मिले हैं?" “गोमांस खाते हो?”…मैंने सोचा ये सब पूछकर मुझे जाने देंगे. लेकिन, फिर अन्य एजेंसियों के अधिकारी भी दिखाई दिए. उन्होंने अगली सुबह तक हमसे पूछताछ की.
सिद्दीकी कप्पन

यूपी सरकार द्वारा दायर हलफनामे में, यह कहा गया है कि कप्पन और अन्य "... पत्रकारिता की आड़ में हाथरस जा रहे थे, जाति विभाजन पैदा करने और कानून व्यवस्था की स्थिति को बिगाड़ने के लिए एक बहुत ही निर्धारित डिजाइन के साथ आपत्तिजनक सामग्री ले जा रहे थे.”

कप्पन को बाद में स्कूल में बने क्वारंटाइन केंद्र में अस्थायी जेल में ले जाया गया, जहां उन्होंने अगले 21 दिन बिताए. कप्पन कहते हैं कि "वहां कोई सुविधा नहीं थी. कोई वॉशरूम नहीं था. एक कोने में हमारे शौच के लिए एक बाल्टी पड़ी थी. उस एक कमरे में कम से कम 50 कैदी थे. शौचालय जाना है तो पुलिस को समझाना होगा. तब आपको बस एक बार जाने की अनुमति दी जा सकती है.

'सिर्फ हिंदी या अंग्रेजी, कोई मलयालम नहीं'

कप्पन ने कहा कि गिरफ्तारी के 45 दिन बाद तक उनके अपने परिवार से बात नहीं हो पाई थी. उन्हें सख्त हिदायत दी गई थी कि वे केवल हिंदी या अंग्रेजी में बोलें, मलयालम में नहीं.

“मैंने उनसे अनुरोध किया कि मुझे मलयालम में सिर्फ 2 मिनट बोलने दें. उस समय मेरी मां अस्वस्थ थीं. मैंने उनसे कहा कि मेरी मां को हिंदी या अंग्रेजी नहीं आती. आखिरकार मुझे दो मिनट के लिए मलयालम में बोलने की इजाजत मिल गई.'

कप्पन की मां का जून 2021 में निधन हो गया, जब वह जेल में थे. कप्पन कहते हैं कि "मुझे उनके अंतिम संस्कार में शामिल होने की अनुमति तक नहीं दी गई थी.

15 अगस्त 2022 को स्वतंत्रता दिवस पर कप्पन की 9 साल की बेटी ने अपने स्कूल में भाषण दिया था जो वायरल हो गया था. उसने अपने कैद पिता के बारे में बात की थी, और अपनी आजादी की मांग की थी.

कप्पन कहते हैं कि “बच्चों और पत्नी दोनों ने हिम्मत दिखाई. वे जानते थे कि यह एक राजनीतिक मामला है, एक फर्जी मामला है. यूपी पुलिस हाथरस मामले से ध्यान भटकाना चाहती थी. इसलिए उन्होंने यह मामला बनाया. यह मेरे बच्चों सहित सभी जानते हैं. वे समाचार पत्र पढ़ रहे हैं. वे भारत के हालात से वाकिफ हैं. वे जानते थे कि इसी तरह हमें भारत में जीवित रहना है.

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