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केंद्र ने स्टॉक देखे बिना सबके लिए वैक्सीनेशन खोला: SII अधिकारी

देश अभी तक अपनी कुल 3 फीसदी आबादी को पूरी तरह वैक्सीनेट कर पाया है

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भारत
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(प्रतीकात्मक फोटो: PTI)
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(प्रतीकात्मक फोटो: PTI)

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देश कोविड संकट के साथ-साथ वैक्सीन कमी से भी जूझ रहा है. केंद्र ने 1 मई से सभी वयस्कों के लिए वैक्सीनेशन तो खोल दिया लेकिन सीमित उपलब्धता होने की वजह से वैक्सीनेशन की रफ्तार बहुत धीमी हो गई है. ऐसे में सीरम इंस्टीट्यूट (SII) के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने केंद्र को दोष देते हुए कहा कि 'सरकार ने वैक्सीन स्टॉक देखे बिना कई आयु-वर्गों के लिए वैक्सीनेशन शुरू कर दिया.'

जाधव ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने WHO गाइडलाइन्स का भी पालन नहीं किया. एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान उन्होंने कहा, "देश को गाइडलाइन्स का पालन करना चाहिए था और वैक्सीनेशन की प्राथमिकता उसी हिसाब से तय करनी चाहिए थी."

“शुरुआत में 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जानी थी, जिसके लिए 60 करोड़ डोज की जरूरत थी. लेकिन इससे पहले कि ये टारगेट पूरा होता, सरकार ने 45 साल से ऊपर सभी लोगों के लिए वैक्सीनेशन खोल दिया और फिर 18 साल से ज्यादा वालों के लिए, जबकि वो जानती थी कि इतनी वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.” 
सुरेश जाधव, SII के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर

'ये सबसे बड़ी सीख'

SII के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर सुरेश जाधव ने कहा कि हमें उपलब्धता को ध्यान में रखकर ही फैसला लेना होगा. जाधव ने कहा, "ये हमारे लिए सबसे बड़ी सीख है. उपलब्धता को देखा जाए और फिर न्यायसंगत तरीके से इस्तेमाल किया जाए."

जाधव ने कहा कि वैक्सीनेशन जरूरी है लेकिन उसके बाद भी लोग संक्रमित हो सकते हैं.  

उन्होंने कहा, "कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते रहना चाहिए. हालांकि, वैक्सीन से डबल म्युटेंट खत्म हो जाता है लेकिन वैरिएंट्स वैक्सीनेशन में फिर भी दिक्कत कर सकते हैं."

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धीमा हुआ वैक्सीनेशन

केंद्र ने सभी के लिए वैक्सीनेशन तो खोल दिया है लेकिन वैक्सीन की कमी की वजह से इसका फायदा नहीं हो रहा है. पिछले दो दिनों में 14 लाख से थोड़ी ज्यादा डोज ही एक दिन में दी गई हैं. अप्रैल और मार्च के महीने में एक दिन में 25-26 लाख डोज तक दी जा रही थीं.

केंद्र ने कहा है कि वो राज्यों को सीमित स्टॉक ही देगा और बाकी उन्हें सीधे वैक्सीन मैन्युफेक्चरर से खरीदनी होंगी. पर वैक्सीन कंपनियों ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं और प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए समय मांगा है.

कई राज्यों में 18+ के लिए वैक्सीनेशन बीच में बंद भी किया गया. कम से कम आठ राज्यों ने वैक्सीन के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला है क्योंकि सीरम इंस्टीट्यूट और भारत बायोटेक डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं.  

देश अभी तक अपनी कुल 3 फीसदी आबादी को पूरी तरह वैक्सीनेट कर पाया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन का कहना है कि देश की व्यस्क आबादी को 2021 के अंत तक वैक्सीन मिल जाएगी.

जबकि IMF का अनुमान है कि भारत 2021 के आखिर तक सिर्फ 33 फीसदी आबादी को वैक्सीन दे पाएगा.  

वैक्सीन कमी के लिए सरकारी नीति जिम्मेदार: पूनावाला

SII के सीईओ अदार पूनावाला कह चुके हैं कि वैक्सीन की कमी के लिए वो नहीं, बल्कि सरकारी नीति जिम्मेदार है. पूनावाला ने फाइनेंशियल टाइम्स के साथ बातचीत में कहा था कि 'वैक्सीन की कमी जुलाई तक चल सकती है.'

हाल ही में पूनावाला ने कहा था कि 'SII ने कभी भी भारत के लोगों की कीमत पर वैक्सीन एक्सपोर्ट नहीं कीं.' उन्होंने कहा, "भारत की इतनी बड़ी आबादी के लिए टीकाकरण अभियान 2-3 महीनों में पूरा नहीं किया जा सकता है."

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