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लाल किले पर तिरंगा ‘हटाकर’ सिखों का झंडा नहीं फहराया गया 

टाइम्स नाउ ने दावा किया कि तिरंगे को ‘हटाकर’ उसकी जगह निशान साहिब फहराया गया

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टाइम्स नाउ ने दावा किया कि तिरंगे को ‘हटाकर’ उसकी जगह निशान साहिब फहराया गया
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टाइम्स नाउ ने दावा किया कि तिरंगे को ‘हटाकर’ उसकी जगह निशान साहिब फहराया गया
(फोटो: Twitter)

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गणतंत्र दिवस के दिन 26 जनवरी को केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान दिल्ली के लाल किले तक पहुंच गए और निशान साहिब को फहरा दिया. ये झंडा सिखों में पवित्र माना जाता है.

टाइम्स नाउ चैनल ने दावा किया कि भारतीय तिरंगे को 'हटाकर' उसकी जगह निशान साहिब फहराया गया है.

चैनल ने प्रदर्शनकारियों पर एक राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान करने का भी आरोप लगाया.

ये दावा ठीक नहीं है. जहां प्रदर्शनकारियों ने निशान साहिब को फहराया था, वो जगह खाली थी. भारत का राष्ट्रीय झंडा हमेशा की तरह लाल किले के ऊपर फहरा रहा है और उसे प्रदर्शनकारियों ने नहीं छुआ था.

लाल किले की ये पुरानी तस्वीर साफ दिखाती है कि निशान साहिब को जहां फहराया गया, वो जगह आम तौर पर खाली रहती है.

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क्या है निशान साहिब?

निशान साहिब खालसा की मौजूदगी का प्रतीक है और हर गुरुद्वारा परिसर में इसे फहराया जाता है.

अमृतसर में हरमंदिर साहिब परिसर में निशान साहिब फहराता हुआ.

निशान साहिब एक तिकोना झंडा है और खालिस्तान के झंडे जैसा नहीं है, जो कि चौकोर होता है. खालिस्तान का झंडा कुछ ऐसा दिखता है.

खालिस्तान के आइडिया की जगह, प्रदर्शनकारियों की हरकत की प्रेरणा शायद सिख जनरल बघेल सिंह हो सकते हैं. सिंह ने मुगलों के खिलाफ लड़ाई जीतने के बाद लाल किले पर निशान साहिब फहराया था.

निशान साहिब भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट में भी बहुत महत्त्व रखता है.

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