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ओडिशा के मयूरभंज का सिमलीपाल नेशनल पार्क आग से धधक रहा है. नेशनल पार्क की 21 रेंजों में से 8 रेंज आग की चपेट में है. जैव विविधता के लिहाज से यह पार्क काफी अहम माना जाता है. देश का तीसरा सबसे बड़ा जैवमंडल रिजर्व है सिमलीपाल नेशनल पार्क.
सिमलीपाल नेशनल पार्क में पिछले कुछ दिनों से आग लगी हुई है. हैरानी की बात है कि इसकी कहीं कोई चर्चा नहीं है. आग की इस खबर को लेकर मयूरभंज रॉयल फैमिली की अक्षिता भंजदेव के ट्वीट के बाद केंद्र सरकार एक्शन में आ गई है.
अब वन और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर ने अधिकारियों को तुरंत एक्शन लेने और इस मामले की रिपोर्ट देने को कहा है.
जैव विविधता की दृष्टि से ओडिशा का सिमलीपाल नेशनल पार्क बहुत समृद्ध है. यह देश का तीसरा सबसे बड़ा जैवमंडल रिजर्व है. जहां वन्यजीव और विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों की भरमार है. भारत में फूल वाले पौधों की 7 प्रतिशत और ऑर्किड की 85 प्रजातियां पाई जाती हैं. सिमलीपाल में पौधों की कुल 1076 प्रजातियां दर्ज की गई हैं. इसके अलावा स्तनधारी, सरीसृप और विभिन्न प्रजाति के पक्षी इस नेशनल पार्क में हैं, जो कि पर्यावरण और पारिस्थितिक तंत्र के लिए बेहद जरूरी है.
सिमलीपाल नेशनल पार्क 5569 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इस नेशनल पार्क में ऐलिफैंट रिजर्व और टाइगर रिजर्व जैसे संरक्षित क्षेत्र हैं. सिमलीपाल नेशनल पार्क में बंगाल टाइगर, एशियन ऐलीफेंट, गौर और चौसिंघा की बड़ी संख्या में पाए जाते हैं. 2009 में यूनेस्को ने सिमलीपाल को वर्ल्ड नेटवर्क ऑफ बायोस्फियर रिजर्व्स की लिस्ट में शामिल किया था.
सिमलीपाल नेशनल पार्क में लगी आग पर अक्षिता भंजदेव ने आवाज उठाई है. उन्होंने कहा कि जैव विविधता और ऐतिहासिक दृष्टि से समृद्ध इस नेशनल पार्क की अनदेखी की जा रही है, जिससे अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिला है.
अक्षिता भंज ने ट्वीट करके कहा कि मयूरभंज के जंगलों में पिछले हफ्ते 50 किलो हाथी दांत बरामद हुए थे. इसके अलावा जंगलों में जारी खनन और लकड़ी माफियाओं के गैंग के बारे में पता चला था. लेकिन इस बारे में कोई ध्यान नहीं दिया गया और मीडिया में इसे लेकर कोई कवरेज नहीं दी गई.
मयूरभंज रॉयल परिवार की सदस्य अक्षिता भंजदेव ने वीडिया जारी करके सिमलीपाल के जंगलों में हो रही अवैध गतिविधियों की ओर इशारा किया. अक्षिता का कहना है कि जंगलों में कई बार अवैध माइनिंग की खबरें सामने आई हैं और इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को मारा और सताया गया. ऐसा कहा जा रहा है कि जंगल में शिकारी, तस्कर और माइनिंग माफिया सक्रिय हैं और ये लोग अपने स्वार्थ के लिए जंगलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
अक्षिता भंजदेव ने सरकार से अपील की है कि जलवायु परिवर्तन के संतुलन को बनाये रखने के लिए, इस ओर ध्यान दिया जाए. इसके लिए अवैध खनन, अवैध शिकार और वनों की कटाई पर रोक लगनी चाहिए और यह हर राजनीतिक पार्टी की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.
DownToEarth की एक रिपोर्ट के अनुसार, 22 फरवरी से 1 मार्च के बीच ओडिशा के जंगलों में आग लगने की 5,291 घटनाएं दर्ज हुई हैं. फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया के मुताबिक ये आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, जंगलों में आग बुझाने की कोशिशों को तेज कर दिया गया है. इसके लिए डेप्यूटी रेंजर्स की नेतृत्व में 21 स्क्वॉड तैयार किए गए हैं.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट में डेप्यूटी डायरेक्टर एसटीआर जगयनदत्ता पति ने कहा कि इस संबंध में आदिवासियों के साथ मीटिंग करके उन्हें आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए जागरूक किया जा रहा है
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