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‘PPF ब्याज कटौती गलती से’,मोदी सरकार पहले भी वापस ले चुकी ये फैसले

हाल ही में, मोदी सरकार ने छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में कटौती का फैसला वापस लिया है

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भारत
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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण
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वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण
(फाइल फोटो : PTI)

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केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को PPF और NSC जैसी छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में की गई कटौती का फैसला यह कहते हुए वापस लिया था कि ऐसा गलती से हो गया था. हालांकि, माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल समेत 4 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में चल रहे विधानसभा चुनावों में BJP को किसी नुकसान से बचाने के लिए ब्याज दरों में कटौती का फैसला वापस लिया गया.

छोटी बचत योजनाओं में निवेश करने वाले लोगों को झटका देते हुए सरकार ने बुधवार को लोक भविष्य निधि (PPF) और एनएससी (NSC) जैसी योजनाओं पर ब्याज दरों में 1.1 फीसदी तक की कटौती की थी.

इसके एक दिन बाद गुरुवार को यह फैसला वापस लेने का ऐलान किया गया, जब पश्चिम बंगाल और असम में दूसरे चरण के वोटिंग होनी थी.

अंग्रेजी अखबार द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, नेशनल सेविंग्स इंस्टिट्यूट के वित्त वर्ष 2017-18 के आंकड़ों के हिसाब से, पश्चिम बंगाल में कुल छोटी बचत (89,991.74 करोड़ रुपये) दूसरी राज्यों के बीच सबसे ज्यादा है. ऐसे में केंद्र के बुधवार वाले फैसले की सबसे ज्यादा मार भी इसी राज्य पर पड़ती, जबकि पश्चिम बंगाल में BJP सत्ता में आने के लिए पूरा जोर लगाती दिख रही है.

मोदी सरकार ने पहले भी वापस लिए हैं कई फैसले

  • 25 अप्रैल 2016 को सरकार ने संसद को बताया था कि वित्त मंत्रालय ने एप्लॉयी प्रोविडेंट फंड (EPF) की 8.7 फीसदी ब्याज दर को मंजूरी दी है. जबकि एप्लॉयी प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्ट्रीज (CBT) ने 8.8 फीसदी ब्याज दर की सिफारिश की थी. इसके बाद जब ट्रेड यूनियन्स ने राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन का आह्वान किया तो सरकार ने इस फैसले को वापस लेते हुए ब्याज दर बढ़ाकर 8.8 फीसदी कर दी.
  • फरवरी 2016 में लेबर मिनिस्ट्री ने एक नोटिफिकेशन जारी कर 2 महीने या उससे ज्यादा समय से बेरोजगार लोगों की ओर से 100 फीसदी प्रोविडेंट फंड निकासी को प्रतिबंधित कर दिया था. इस नोटिफिकेशन को बेंगलुरु में हिंसक प्रदर्शन के बाद 19 अप्रैल, 2016 को वापस ले लिया गया था.
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  • मार्च 2016 में, लेबर यूनियन्स और सैलरीड क्लास के बढ़ते विरोध के बीच, सरकार ने प्रोविडेंट फंड निकासी पर टैक्स से जुड़ा विवादित बजट प्रस्ताव वापस लिया था. तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली की ओर से 29 फरवरी को पेश किए गए बजट में, सरकार ने ऐलान किया था कि EPF और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) योजनाओं में किसी व्यक्ति की संचित निधि के 40 फीसदी हिस्से पर निकासी के वक्त टैक्स नहीं लगेगा. इसका मतलब यह निकाला गया था कि बाकी 60 फीसदी EPF कॉर्पस पर टैक्स लगेगा.
  • 2015-16 के बजट में, तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) के पूंजीगत लाभों पर न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) को हटाने का प्रस्ताव दिया था. हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, उसी समय के आसपास, टैक्स डिपार्टमेंट ने पिछले कुछ सालों के FII के पूंजीगत लाभों पर 20 फीसदी की दर से 602 करोड़ रुपये के भुगतान के लिए 68 FII को नोटिस जारी किए थे. जबकि सितंबर 2015 में, सरकार ने ऐलान किया था कि FII को पिछले सालों के लिए कोई MAT नहीं देना होगा.
  • जून 2014 में, यात्री किराए में 14.2% की बढ़ोतरी के चार दिनों के बाद, तत्कालीन रेल मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने हर दिन अधिकतम 80 किलोमीटर की यात्रा के लिए सेकेंड क्लास उपनगरीय यात्रियों को राहत देने के लिए आंशिक रोलबैक का आदेश दिया था. रोलबैक के फैसले को एनडीए की तत्कालीन सहयोगी शिवसेना की ओर से दबाव के बाद किया गया था क्योंकि इसका मुंबई उपनगरीय सेवाओं के यात्रियों पर बड़ा असर पड़ा था.

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Published: 02 Apr 2021,05:17 PM IST

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