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Solar Energy: पीएम नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के दिन ‘प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना’ की घोषणा की. इस योजना के तहत केंद्र सरकार देश के एक करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाएगी. दरअसल, सरकार धीरे-धीरे बायो फ्यूल यानी पेट्रोल-डिजल के खपत को कम करना चाहती है. इसी के मद्देनजर सरकार रिन्यूएबल एनर्जी को बढ़ावा दे रही है. भारत ने साल 2030 तक 500 GW रिन्यूएबल एनर्जी के उत्पादन का लक्ष्य भी रखा है. ऐसे में सोलर पैनल या सोलर एनर्जी इस लक्ष्य को पाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.
भारत तेजी के साथ विकास की ओर बढ़ रहा है. जिससे आने वाले समय में ऊर्जा और बिजली की मांग बढ़ने वाली है. वहीं दूसरी तरफ ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन पर बहस विश्व को जीवाश्म आधारित ऊर्जा से स्वच्छ और हरित ऊर्जा की ओर बढ़ने के लिए मजबूर कर रही है. ऐसे में पूरे विश्व के लिए सोलर एनर्जी एक बेहतर विकल्प है.
सौर पैनल वे उपकरण हैं, जो सूर्य की किरणों को अवशोषित कर, उन्हें बिजली या एनर्जी में बदल देता है.
सौर पैनल में फोटोवोल्टिक सेल्स लगे होते हैं, जो सूर्य की एनर्जी को बिजली में बदल देते हैं. ये सेल सौर पैनलों की सतह पर ग्रिड जैसे पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं. अधिकांश सौर पैनल क्रिस्टलीय सिलिकॉन सौर सेल्स का उपयोग करके बनाए जाते हैं. ये पैनल बहुत टिकाऊ होते हैं और बहुत लंबे वक्त तक चलते हैं.
भारत उष्णकटिबंधीय क्षेत्र (Tropical Belt) में स्थिति है, जहां साल के लगभग 300 दिन सूर्य की ऊर्जा प्राप्त होती है. जिसकी वजह से यहां सोलर एनर्जी प्राप्त करने की काफी संभावनाएं हैं.
भारत ने अब तक कुल लगभग 73000 मेगावॉट या 73.3 गीगावॉट सौर ऊर्जा के उत्पादन क्षमता में अलग-अलग सेक्टर की भागीदारी रही है.
ग्राउंड माउंटेड सोलर प्लांट: 56.92 गीगावॉट
ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप: 11.08 गीगावॉट
हाइब्रिड परियोजनाएं: 2.57 गीगावॉट
ऑफ-ग्रिड सोलर: 2.75 गीगावॉट
राज्य-वार डेटा से पता चलता है कि 2019-20 के बाद से सौर ऊर्जा क्षमता में वृद्धि हुई है, जिसमें गुजरात, कर्नाटक और राजस्थान ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. पारदर्शी बोली प्रक्रिया के माध्यम से निजी क्षेत्र के निवेश ने इसे आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूएबल एनर्जी के आकड़ों के मुताबिक, राजस्थान ने 31 दिसंबर 2023 तक कुल 18,777 मेगावॉट सोलर एनर्जी प्रोड्यूस कर, देश के सभी राज्यों में शीर्ष पर रहा. वहीं गुजरात और कर्नाटक क्रमशः दूसरे और तीसरे नंबर पर रहे.
केंद्र सरकार ने कई योजनाओं और पहलों के जरिए सोलर एनर्जी को बढ़ाने की कोशिश कर रही है. इनमें कुछ सरकार योजनाएं प्रमुख हैं-
पीएम-कुसुम योजना-
पीएम कुसुम योजना 2019 में नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई थी. इस योजना के तहत किसानों को सौर पंप दिया जाता है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों की ऊर्जा और सिंचाई के लिए पानी की समस्या को खत्म करना. किसानों को डीजल के खर्चे को कम करके उनकी आय को बढ़ना.
नेशनल रूफटॉप स्कीम-
यह केंद्र सरकार के सोलर एनर्जी से जुड़ी एक योजना है. इस योजना के तहत अगर आप अपनी छत पर सोलर पैनल लगाना चाहते हैं तो 3 किलोवाट क्षमता के सोलर पैनल लगाने पर सरकार की ओर से 40% सब्सिडी जबकि 10 किलोवॉट का सोलर पैनल लाने पर 20 प्रतिशत सब्सिडी देती है.
सेंट्रल रीन्यूवेबल एनर्जी मिनिस्टर आरके सिंह ने हाल ही में बताया था कि रूफटॉप सोलर कार्यक्रम से अभी 10,407 मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है. रूफटॉप सोलर कार्यक्रम के तहत रूफटॉप सोलर स्थापित करने में गुजरात सबसे आगे है.
विश्व लेवल पर सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए भारत के पीएम मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा 30 नवंबर, 2015 को फ्रांस की राजधानी पेरिस में आयोजित COP-21 के दौरान इसकी स्थापना की. इसका मुख्यालय गुरूग्राम, हरियाणा में है.
ISA का उद्देश्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देना और वित्तीय लागत एवं प्रौद्योगिकी लागत को कम करने के लिये आवश्यक संयुक्त प्रयास करना. बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पाद के लिये पैसे जुटाना तथा भविष्य की टेक्नोलॉजी के लिये रोड़ मैप तैयार करना है.
प्रधानमंत्री मोदी ने आईएसए की पहली बैठक के दौरान वैश्विक स्तर पर इंटरकनेक्टेड सौर ऊर्जा बुनियादी ढांचे के लिए "एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड" का प्रस्ताव रखा था. इस पहल का उद्देश्य सीमाओं के पार ऊर्जा आपूर्ति को जोड़ना है.
सौर ऊर्जा से 24 घंटे बिजली उपलब्ध रहती है. बस सूर्य के प्रकाश से काम हो जाता है.
सौर ऊर्जा के उपकरण काफी लंबे समय तक चलते हैं. इनके रखरखाव में ज्यादा समस्या नहीं आती. बस इनकी सोलर प्लेटों को समय-समय पर साफ करना पड़ता है.
सौर ऊर्जा से प्रदूषण की समस्या भी उत्पन्न नहीं होती है.
देश के लगभग सभी हिस्सों में इसे आसानी से पहुंचाया जा सकता है.
सौर ऊर्जा के उपयोग में बिजली खंभे, तार और ट्रांसमिशन का उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है.
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