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National Herald case क्या है, जिसकी वजह से एक्शन में ED-यंग इंडिया ऑफिस सील

दिल्ली में AICC मुख्यालय और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ के बाहर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात.

उपेंद्र कुमार
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p> सोनिया गांधी और राहुल गांधी</p></div>
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सोनिया गांधी और राहुल गांधी

(फोटोः Reuters)

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प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 03 जुलाई को कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाले नेशनल हेराल्ड अखबार (National Herald newspaper's office) के कार्यालय में यंग इंडिया (Young India) के परिसर को सील कर दिया और आदेश दिया है कि एजेंसी की पूर्व अनुमति के बिना इस एरिया को नहीं खोला जाएगा. दिल्ली में AICC मुख्यालय और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के आवास 10 जनपथ के बाहर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है. इससे पहले इस मामले में ED ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी से भी पूछताछ की थी.

क्या है नेशनल हेराल्ड केस?

दरअसल, साल 1938 जवाहर लाल नेहरु ने नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत की थी. आजादी के बाद यह अखबार कांग्रेस का माउथपीस बना रहा. साल 2008 में अखबार छपना बंद हो गया. इस अखबार का मालिकाना हक एसोसिएट जर्नल्स (Associated Journals Limited) के पास था. इसी के तहत नेशनल हेराल्ड अखबार निकाला जाता था. AJL पर 90 करोड़ से ज्यादा का कर्ज था और इसी को खत्म करने के लिए एक और कंपनी बनाई गई, जिसका नाम था यंग इंडिया लिमिटेड. इसमें राहुल और सोनिया की हिस्सेदारी 38-38% थी, जबकि कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के पास 24 फीसदी हिस्सेदारी थी.

एसोसिएटेड जर्नल्स ने 2010 में अपने 10-10 रुपए के 9 करोड़ शेयर यंग इंडियन को ट्रांसफर कर दिए. कहा गया कि इसके एवज में यंग इंडिया AJL की देनदारियां चुकाएगी, लेकिन शेयर की हिस्सेदारी ज्यादा होने की वजह से यंग इंडिया को मालिकाना हक मिला. AJL की देनदारियां चुकाने के लिए कांग्रेस ने जो 90 करोड़ का लोन दिया था, वह भी बाद में माफ कर दिया गया.

इसके बाद साल 2012 में सुब्रमण्यम स्वामी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने पार्टी फंड से राहुल और सोनिया को 90 करोड़ रुपए दिए थे. इसका मकदस एसोसिएट जर्नल्स की 2 हजार करोड़ की संपत्ति हासिल करना था. इसके लिए गांधी परिवार ने महज 50 लाख रुपए की मामूली रकम दी थी.

केस में अब तक क्या-क्या हुआ?

1 नवंबर 2012 को दिल्ली कोर्ट में सुब्रमण्यम स्वामी ने केस दर्ज कराया, जिसमें सोनिया-राहुल के अलावा मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे और सैम पित्रोदा आरोपी बनाए गए. 26 जून 2014 को मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट ने सोनिया-राहुल समेत सभी आरोपियों के खिलाफ समन जारी किया.

समन भेजते वक्त ट्रायल कोर्ट ने कहा था कि ऐसा नजर आता है कि एसोसिएटेड जर्नल्स की 2000 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी का कंट्रोल हासिल करने के मकसद से यंग इंडियन बनाई गई. ऐसा लगता है कि पब्लिक मनी को पर्सनल मनी बनाने के लिए यह हुआ.
गोमती मनोचा, मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट, पटियाला हाउस कोर्ट

1 अगस्त 2014 को ED ने इस मामले में संज्ञान लिया और मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया.

मई 2019 में इस केस से जुड़े 64 करोड़ की संपत्ति को ED ने जब्त किया.

19 दिसंबर 2015 को इस केस में सोनिया, राहुल समेत सभी आरोपियों को दिल्ली पटियाला कोर्ट ने जमानत दे दी.

साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को रद्द करने से इनकार करते हुए सभी 5 आरोपियों सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस और सुमन दुबे को कोर्ट में पेश होने से छूट दे दी थी

9 सितंबर 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सोनिया और राहुल को करारा झटका दिया था. कोर्ट ने आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ याचिका खारिज कर दी थी.

कांग्रेस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी, लेकिन 4 दिसंबर 2018 को कोर्ट ने कहा कि आयकर की जांच जारी रहेगी. हालांकि, अगली सुनवाई तक कोई आदेश नहीं पारित होगा.

अप्रैल 2022 में कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे अपना बयान दर्ज कराने के लिए ED दफ्तर पहुंचे थे. इसके बाद ईडी ने कांग्रेस नेता पवन बंसल का बयान भी दर्ज किया था.

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Published: 01 Jun 2022,04:22 PM IST

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