Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019साउथ अफ्रीका में AstraZeneca वैक्सीन पर रोक:ये चिंता की बात है?FAQ

साउथ अफ्रीका में AstraZeneca वैक्सीन पर रोक:ये चिंता की बात है?FAQ

वैक्सीन पर क्यों लगी रोक? एक्सपर्ट्स क्या कहते हैं?

मैत्रेयी रमेश
भारत
Published:
(फोटो: iStock)
i
null
(फोटो: iStock)

advertisement

साउथ अफ्रीका में Oxford-AstraZeneca कोरोना वायरस वैक्सीन अब नहीं लगाई जा रही है. रिसर्चर्स ने पाया था कि ये वैक्सीन नए वैरिएंट के खिलाफ 'न्यूनतम सुरक्षा' देती है.

वैक्सीन का रोका जाना वैश्विक रूप से चिंता का विषय हो सकता है. हालांकि, WHO और एक्सपर्ट्स दोनों ने इस वैक्सीन का समर्थन किया है और कहा है कि लगातार सर्विलांस जरूरी है.

AstraZeneca की वैक्सीन पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) में बनती हैं.

वैक्सीन पर रोक की वजह क्या है? क्या भारतीयों के लिए ये चिंता का विषय है? अभी तक हमें क्या पता है, जानिए.

नया साउथ अफ्रीकन वैरिएंट क्या है?

साउथ अफ्रीकन स्वास्थ्य मंत्री ज्वेली खिजे ने ट्विटर पर बताया था कि नए वैरिएंट को 501.V2 नाम दिया गया है. उन्होंने कहा था कि नया वैरिएंट देश की लैब्स के रूटीन सर्विलांस करने के दौरान पाया गया था.

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया, "जो सबूत इकट्ठे किए गए हैं, वो संकेत देते हैं कि देश में जो सेकंड वेव चल रही है वो इसी नए वैरिएंट की वजह से है." ये वैरिएंट ज्यादा तेजी से फैलता है. दिसंबर मध्य में इसका पता लगाया गया था.

किसे ज्यादा खतरा है?

नए वैरिएंट से जवान लोग जिन्हें कोई कोमोर्बिडिटी नहीं है, वो ज्यादा संक्रमित हो रहे हैं. सरकार ने इस बात की जानकारी दी है.

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया था, "चिकित्सक हमें क्लीनिकल एपिडेमियोलॉजिकल तस्वीर में बदलाव के सबूत दे रहे हैं. वो देख रहे हैं कि जवान मरीजों की बड़ी जनसंख्या संक्रमित हो रही है."

AstraZeneca वैक्सीन पर हुई स्टडी क्या कहती है?

जोहान्सबर्ग स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ विटवाटरस्रैंड ने इस स्टडी को किया था. यूनिवर्सिटी ने 7 फरवरी को अपने बयान में कहा कि AstraZeneca वैक्सीन साउथ अफ्रीकन वैरिएंट से होने वाले 'माइल्ड-मॉडरेट COVID-19 संक्रमण के खिलाफ न्यूनतम सुरक्षा देती है.'

इस स्टडी का सैंपल साइज 2000 था और इसे अभी तक पीयर-रिव्यू नहीं किया गया है.

स्टडी में कहा गया कि गंभीर संक्रमण, अस्पताल में भर्ती मामलों और मौतों पर वैक्सीन के प्रभाव का पता नहीं लगाया गया है. हालांकि, स्टडी में ये भी पता नहीं लगाया कि क्या वैक्सीन गंभीर COVID-19 से बचाती है क्योंकि इसमें ज्यादातर जवान लोग शामिल थे, जिन्हें खतरे के दायरे में नहीं माना जाता है.  

AstraZeneca की प्रतिक्रिया क्या रही?

AstraZeneca ने कहा कि वो स्टडी में गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती मामलों में वैक्सीन के प्रभाव को ठीक से सुनिश्चित नहीं कर पाए हैं क्योंकि ज्यादातर पार्टिसिपेंट जवान और स्वस्थ व्यस्क थे.

कंपनी ने कहा, "हमें विश्वास है कि हमारी वैक्सीन गंभीर बीमारी से बचा सकती है क्योंकि जिन दूसरी COVID-19 वैक्सीनों ने ज्यादा गंभीर बीमारी के खिलाफ कार्रवाई दिखाई है, हमारी वैक्सीन की एंटीबॉडी बेअसर करने की कार्रवाई उन जैसी ही है, जब डोज का इंटरवेल 8-12 हफ्ते रखा जाए."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

WHO ने इस पर क्या कहा है?

8 फरवरी को एक प्रेस ब्रीफिंग में WHO के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम घेब्रेयसस ने कहा कि WHO स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनाइजेशन (SAGE) ने Oxford-AstraZeneca वैक्सीन का रिव्यू किया और नए डेवलपमेंट पर बातचीत की.

ब्रीफिंग में WHO के डिपार्टमेंट ऑफ इम्यूनाइजेशन, वैक्सीन और बायोलॉजिकल्स के डायरेक्टर केट ओब्रायन ने कहा, "प्रभावकारिता में कमी के कुछ संकेत हैं, कुछ कम कुछ ज्यादा, वैरिएंट और जनसंख्या पर निर्भर करता है और एंटीबॉडी बेअसर करने की कार्रवाई पर भी."

क्या भारत को चिंता होनी चाहिए?

भारत में सीरम इंस्टीट्यूट इस वैक्सीन को ‘Covishield’ के नाम से बना रहा है. ये वैक्सीन भारत में चल रही वैक्सीनेशन ड्राइव में दी जा रही है.

एक्सपर्ट्स का कहना है कि साउथ अफ्रीकन वैरिएंट और AstraZeneca वैक्सीन पर स्टडी भारत के लिए चिंता की बात नहीं है.

पहला कि ये वैरिएंट भारत में पाया नहीं गया है.

5 फरवरी को FIT से बात करते हुए वायरोलॉजिस्ट डॉ शाहिद जमील ने कहा, "अभी तक जो पता है वो ये कि वैक्सीन म्यूटेंट्स पर काम कर रही हैं लेकिन उतना भी नहीं, जिसका मतलब है कि अगर आप म्यूटेंट से संक्रमित हुए तो आपको बीमारी होगी लेकिन वो उतनी गंभीर नहीं होगी. ये वैक्सीन लेने का तब भी एक अच्छा कारण है."

ICMR में एपिडिमियोलॉजी एंड कम्युनिकेबल डिजीज डिवीजन के हेड डॉ समीरन पांडा ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "किसी भी देश का वैक्सीनेशन प्रोग्राम इस बात से प्रभावित नहीं होना चाहिए कि कुछ लोगों में एक खास वैरिएंट देखने को मिल गया क्योंकि मकसद पॉपुलेशन लेवल पर इम्युनिटी डेवलप करने का है. वायरस की ट्रांसमिशन चेन को तोड़ने की जरूरत है."

भारत में UK वैरिएंट मिला था. क्या AstraZeneca वैक्सीन उस पर काम करती है?

ऑक्सफोर्ड रिसर्चर्स ने कहा था कि AstraZeneca वैक्सीन लोगों को नए और ज्यादा तेजी से फैलने वाले वैरिएंट से बचाती है.

ये बात द लांसेट में छपे एक प्रीप्रिंट में कही गई थी. प्रीप्रिंट को पीयर-रिव्यू नहीं किया गया है लेकिन प्रिलिमिनरी फाइंडिंग कहती हैं कि वैक्सीन UK वैरिएंट के खिलाफ 74.6 फीसदी प्रभावी है. ये असली COVID स्ट्रेन के खिलाफ 84 फीसदी प्रभावी होने से कम है.

जनवरी के अंत तक भारत में 150 से ज्यादा लोग UK वैरिएंट से संक्रमित पाए गए थे, लेकिन उसके बाद से ये आंकड़ा बहुत तेजी से नहीं बढ़ा है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT