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केरल में बाढ़ के कहर से मौतों का सिलसिला लगातार जारी है. बारिश और बाढ़ से राज्य में मरने वालों की संख्या गुरुवार को 87 तक पहुंच गई. बड़े पैमाने पर चल रहे राहत और बचाव अभियान में केंद्र ने सेना के तीनों अंगों की तैनाती की है. गुरुवार दोपहर तक 20 और लोगों की मौत की पुष्टि हुई है जिनमें अधिकांश मलप्पुरम, कोझिकोड, पलक्कड और त्रिशूर के रहने वाले थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरे केंद्रीय नेताओं के साथ बातचीत के बाद मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि शनिवार तक लगातार बारिश के पूवार्नुमान के बाद केंद्र ने अधिक राहत बलों और चीजों की आपूर्ति को मंजूरी दी है.
इससे पहले उत्तरी पहाड़ी जिले वायनाड में बड़े पैमाने पर भूस्खलन हुआ है. बाढ़ की वजह से हजारों लोग राहत शिविरों में शरण लेने के लिए मजबूर हैं.
अधिकारियों ने बताया कि जिले के पश्चिमी घाट में भूस्खलन और जमीन धंसने के कारण कई लोगों को अपना घर छोड़कर भागना पड़ा. वहीं निचले इलाकों में रह रहे लोगों को राहत शिविरों में भेजा गया है. अधिकारियों ने बताया कि वायनाड जिले में 124 राहत शिविरों में 13,800 से ज्यादा लोगों को शरण दी गई है. निचले इलाके डूब गए हैं.
कन्नूर, कासरगोड, कोझिकोड, मलप्पुरम और पलक्कड़ समेत उत्तरी केरल जिलों के कई हिस्सों में लगातार बारिश से आई बाढ़ से हालात बिगड़ चुके हैं. इडुक्की जलाशय से संबद्ध चेरुथोनी बांध में पानी का स्तर घट रहा है, जिससे निचले इलाकों खासतौर से एर्नाकुलम जिले में लोगों के प्रभावित होने का डर कम हो रहा है.
हालांकि, मुल्लापेरियार बांध में जल स्तर 136 फुट पर पहुंच गया है, जिससे अधिकारियों को अलर्ट जारी करना पड़ा. बांध के तलहटी क्षेत्र में लगातार बारिश हो रही है. इस बीच, त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड ने पम्बा नदी में तेजी से जल स्तर बढ़ने के कारण श्रद्धालुओं को सबरीमाला तीर्थयात्रा ना करने की सलाह दी है.
केरल के कई हिस्सों में मूसलाधार बारिश हुई, जिससे जमीन धंसने के कारण पहले से ही परेशान लोगों की मुसीबतें और बढ़ गई हैं. राज्य में बारिश के कारण आठ दिनों में कम से कम 79 लोगों की मौत हो चुकी है. गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया केंद्र (एनईआरसी) ने बताया कि केरल में मॉनसून से संबंधित घटनाओं में 187 लोगों की जान जा चुकी हैं.
वहीं, 14 जिलों में 2,406 गांव बारिश और बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं और 26,400 हेक्टेयर से ज्यादा की फसल बर्बाद हो गई है. मलप्पुरम, कोझिकोड, इडुक्की और वायनाड जिलों में विभिन्न स्थानों पर भूस्खलन की खबरें हैं.
कोच्चि इंटरनेशनल एयरपोर्ट परिसर में पानी घुस जाने के कारण यहां विमानों की आवाजाही शनिवार तक बंद कर दी गई है. राज्य के कई हिस्सों में ट्रेन सेवा भी ठप्प पड़ी हुयी है. केरल के 14 जिलों में से 12 जिलों में रेड अलर्ट घोषित कर दिया गया है.
कोच्चि एयरपोर्ट पर 18 अगस्त तक विमानों की आवाजाही बंद कर दी गई है और विमानों को अन्य हवाई अड्डों पर जाने का निर्देश दिया गया है. इंडिगो, एयर इंडिया और स्पाइस जेट ने कोच्चि हवाई अड्डा से अपना परिचालन बंद करने की घोषणा की है.
मौसम वैज्ञानिक के मुताबिक, तिरूवनंतपुरम, कोल्लम, अलप्पुझा, पथनमथित्ता, कोट्टायम, इडुक्की, एर्नाकुलम, त्रिशूर और कोझिकोड जिलों में 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से धूल भरी आंधी आने का अनुमान जताया है.
उत्तर में कासरगोड से लेकर दक्षिण में तिरूवनंतपुरम तक सभी नदियां उफान पर है और मुल्लपेरियार सहित कई बांधों का फाटक खोल दिया है.
बाढ़ के कारण दक्षिण रेलवे और कोच्चि मेट्रो ने अपना परिचालन रोक दिया है, जिससे मध्य केरल के कई हिस्सों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम चरमरा गया है. लगातार हो रही बारिश के कारण पेरियार नदी में जलस्तर बढ़ गया है.
बाढ़ से कोच्चि शहर में ट्रांसपोर्ट सिस्टम प्रभावित हुआ है. दक्षिण रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अंगमाली और अलुवा के बीच डाउनलाइन पर पुल नंबर 176 पर जलस्तर बढ़ने के कारण इस पुल पर सेवा बंद कर दी गयी है.''
कोच्चि मेट्रो रेल लिमिटेड (केएमआरएल) ने अलुवा के निकट मट्टम में अपने यार्ड के बाढ़ के पानी में डूबे जाने के बाद गुरुवार सुबह अपना परिचालन बंद कर दिया. केएमआरएल ने एक बयान में बताया, ‘‘मट्टम यार्ड क्षेत्र में जलस्तर बढ़ने के कारण कोच्चि मेट्रो ट्रेन सेवा बंद कर दी गयी है.'' प्रवक्ता ने बताया कि एक बार जलस्तर कम होने और प्रणाली के अच्छी स्थिति में आने के बाद सेवा फिर से शुरू हो जाएगी.
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