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कौन हैं ये लोग जो SSC के पेपर लीक के खिलाफ कर रहे हैं प्रदर्शन

सरकार ने SSC पेपर लीक की CBI जांच के आदेश दिए. लेकिन छात्रों का विरोध रहेगा जारी!

शादाब मोइज़ी
भारत
Published:
SSC पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन करते छात्र.
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SSC पेपर लीक मामले में सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन करते छात्र.
(फोटो: शादाब मोइज़ी)

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"सर ये मेरा आखिरी मौका है, इस बार टेस्ट नहीं निकला तो मेरे बहुत सारे सपने टूट जाएंगे." ये बोलते हुए करण भावुक हो गया. उसकी आंखें नम थीं. 29 साल का करण पिछले सात दिनों से हजारों छात्रों के साथ दिल्ली के स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (एसएससी) के दफ्तर के बाहर कथित पेपर लीक के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है.

दरअसल, एसएससी यानी कर्मचारी चयन आयोग ने 17 से 22 फरवरी 2018 को सीजीएल (कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल) टियर 2 की परीक्षा ऑनलाइन आयोजित कराई थी. उस टेस्ट के दौरान ही पेपर लीक होने की खबर सोशल मीडिया पर फैलने लगी. खबर के फैलते ही देश भर के छात्र दिल्ली में इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन के लिए जमा होने लगे.

(फोटो: शादाब मोइज़ी)

अब ऐसे में सवाल उठता है कि कौन हैं ये हजारो छात्र? कहीं ये लोग किराए पर तो नहीं लाए गए हैं?क्यों ये लोग अपनी किताबों को छोड़ कर सरकारी तंत्र से लड़ने खड़े हो गए? कई सालों अफसर बनने के सपने पाले हुए छात्र-छात्राओं क्यों सड़कों पर आना पड़ा? क्विंट ने इस विरोध प्रदर्शन में आए ऐसे ही कुछ छात्रों से जानने की कोशिश की उनकी कहानी. आइए मिलवाते हैं आपको SSC पेपर लीक प्रोटेस्ट का झंडा उठाने वाले इन युवाओं से

नाम- करण

उम्र - 29 साल

मैंने BCA किया, फिर MCA. लेकिन MCA करने के बाद भी प्राइवेट कंपनी में सिर्फ 10 हजार रुपये की नौकरी लग रही थी. इसलिए सोचा कि एसएससी के जरिये अच्छी सरकारी नौकरी तो लगेगी. अब तक तीन बार एसएससी का टेस्ट दिया है. पहली बार एसएससी का प्री निकाल लिया था. लेकिन हर बार कुछ नंबरों से छूट जाता है. लेकिन अब समझ में आ रहा है, इतना पढ़ने के बाद भी छूट नहीं रहा है, बल्कि हमारे जगह किसी और को पास किया जा रहा है.
(फोटो: शादाब मोइज़ी)

करण आगे मायूस होकर बताते हैं कि इस बार प्रश्न-पत्र लीक की बात सामने आ गई नहीं तो पता भी नहीं चलता. अगर इस बार भी मेरा नहीं हुआ तो मुझे मजबूरी में 10 हजार रुपये की नौकरी ढूंढनी पड़ेगी या फिर अपने परिवार की दुकान पर बैठना पड़ेगा.

प्रवीण कुमार

उम्र- 22

(फोटो: शादाब मोइज़ी)
सर हम झारखंड से सिर्फ इस प्रोटेस्ट में शामिल होने आए हैं. मेरे परिवार में पांच लोग हैं. और सिर्फ पापा कमाने वाले हैं. मैंने फिजिक्स में अॉनर्स किया है. अब फिजिक्स में ग्रेजुएशन करने से नौकरी तो मिलने से रही. इसलिए मैंने सीजीएल और सीएचएसएल दोनों का एग्जाम दिया ताकि किसी में तो कामयाबी मिले. लेकिन यहां भी ये सब. कुछ लोग कह रहे हैं सरकार ने हमारी बात मान ली है. और इस मामले की सीबीआई जांच होगी. लेकिन ये पेपर लीक मामला सिर्फ एक एग्जाम से जुड़ा नहीं है. क्यों नहीं एसएससी के सभी एग्जाम की जांच हो?

“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ हकीकत नहीं, सिर्फ नारा है”

नाम- मंजू

उम्र - 22 साल

22 साल की मंजू हजारों छात्रों के बीच खामोश सी खड़ी थीं. लेकिन थोड़ी-थोड़ी देर बाद वो हाथों से लिखा प्लाकार्ड दिखा रही थीं. मंजू कहती हैं,

एक तरफ हमारे पीएम मोदी नारा देते हैं बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ... लेकिन कोई ये बताए एक तो बेटियां समाज से लड़ कर पढ़ना शुरू करती हैं. आगे बढ़ना चाहती हैं तो इस तरह का पेपर लीक होता है. लड़कियों के लिए ये लड़ाई ज्यादा मुश्किल है पहले उन्हें समाज से लड़ना होता है फिर सिस्टम में चल रहे करप्शन से.
(फोटो: शादाब मोइज़ी)

“किसान का बेटा हूं सर”

नाम- स्वप्निल

उम्र - 25 साल

(फोटो: शादाब मोइज़ी)
हमारे पिता जी किसान हैं. उन्होंने हमें पढ़ाया. बीटेक कराया. हम भी बीटेक के बाद एसएससी की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए. कभी डेढ़ नंबर से तो कभी 5 नंबर से मेरा एसएससी छूट जाता है.हम यहां प्रोटेस्ट में नहीं आते. लेकिन गुस्सा बहुत है इसलिए आए. घर वाले को नहीं पता है कि हम यहां धरना दे रहे हैं. नहीं तो उन्हें लगेगा कि हम ही नहीं पढ़ते हैं. उन्हें क्या पता यहां पढाई नहीं पैसा का बोल बाला है.
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“इस देश में नेता सिर्फ हिन्दू मुस्लिम कर रहे हैं”

नाम- सविता

उम्र- 25

सविता विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्रों में सबसे आगे की लाइन में बैठी थी. क्या वो इस मूवमेंट को लीड कर रही हैं ये पूछने पर सविता गुस्से से कहती हैं लीडर तो इस देश में सिर्फ हिन्दू मुस्लिम कर रहे हैं.

(फोटो: शादाब मोइज़ी)
हम तो सबके साथ मिलकर अपने हक की लड़ाई लड़ने आए हैं. दो बार एसएससी दिया है. प्री तो क्वालीफाई हो जाता है लेकिन मेन्स नहीं. अब समझ में आ रहा है, क्यों नहीं होता है. क्योंकि एसएससी अब SSC स्पेशल स्कैम कमीशन बन गया है.

मीडिया सो रहा है, या फिर समाज को बांट रहा है

नाम- नितिन

उम्र- 24

24 साल के नितिन ने 2015 में सीएचएसएल क्वालीफाई किया था. 2018 आ गया लेकिन अबतक उनका ज्वाइनिंग लेटर नहीं आया.

(फोटो: शादाब मोइज़ी)

सचिन बताते हैं,

जब मेरा जोइनिंग लेटर नहीं आया तो मैंने इस बार सीजीएल का पेपर भी दिया. ताकि शायद कुछ तो हासिल हो. बहुत परेशान हूं. लेकिन मीडिया को इस सब से मतलब नहीं है. मीडिया समाज को बांटने में लगा है. अगर दिल्ली में ये प्रोटेस्ट नहीं होता तो मीडिया कभी पूछता भी नहीं.

बता दें कि इस मामले में केंद्र सरकार ने सीबीआई जांच का आदेश दे दिया है. सोमवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने जांच का आदेश जारी करते हुए छात्रों से विरोध-प्रदर्शन खत्म करने को कहा. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी 12 मार्च को इस मामले में जांच के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करने का फैसला किया है.

लेकिन विरोध-प्रदर्शन कर रहे छात्रों का कहना है कि हम केंद्रीय गृह मंत्री के इस फैसले का स्वागत करते हैं. लेकिन विरोध प्रदर्शन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक एसएससी के सभी एग्जाम की सीबीआई जांच का लिखित में ऐलान नहीं होगा. सिर्फ सीजीएल के एग्जाम की जांच की बात नहीं है बल्कि एसएससी के अब सभी एग्जामों की जांच होनी चाहिए.

(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

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