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एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किए गए आदिवासी कार्यकर्ता स्टेन स्वामी (Stan Swamy) का पुलिस हिरासत में ही निधन हो गया. इस वाकये पर बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने चिंता जताई है. बार एसोसिएशन ने कहा स्टेन स्वामी का निधन संस्था के तौर पर हमारी बड़ी नाकामी है. बार एसोसिएशन ने सभी संस्थाओं से कानूनों का पालन सही तरीके से करने पर जोर दिया ताकि आगे ऐसी घटना ना हो.
1. बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने कहा कि हम 84 वर्षीय आदिवासी और मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी के निधन पर गहरी चिंता व्यक्त करते हैं. फादर स्वामी को महाराष्ट्र में हिरासत में रखा गया था.
2. बार एसोसिएशन ने स्टेन स्वामी की मौत को कानून के साथ-साथ संस्थागत विफलता भी बताया और कहा कि जहां 84 वर्षीय बीमार बुजुर्ग को इतने लंबे समय तक महामारी के दौरान हिरासत में रखा गया. उनकी ऐसी स्थिति और उम्र होने के बावजूद घर से दूर रखना क्रूरता, दुर्व्यवहार से भरा है और संस्थागत विफलता है. स्टेन स्वामी की हिरासत में मौत भारतीय कानून प्रणाली और प्रशासन की विफलता है.
3. बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया इस ओर ध्यान आकर्षित करवाना चाहता है कि कानून का पालन होना चाहिए ना कि कानून का राज. इसके साथ कानूनी व्यवस्था में हिरासत के दौरान मानवता आचरण होना जरूरी है खासतौर पर जब हिरासत में रखे गए व्यक्ति की उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति ऐसी हो. इन्हीं वजहों से भारतीय संविधान के उच्च मूल्य फीके पड़ जाते हैं जबकि हमारा संविधान इन्हीं मूल्यों को बढ़ाव देता है, जिनमें स्वतंत्रता और जीवन का अधिकार प्रमुख है. भले ही किसी पर UAPA जैसे कानून लगें हों जिनमें जमानत का प्रावधान मुश्किल होता है उसके बावजूद इसके इन आदर्शों का पालन करने की जरूरत है. बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया भारत के सभी संस्थान के लोगों से आग्रह करता है कि सही तरीके से अपने कर्तव्य और कानूनों का निर्वहन करें ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो सकें.
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