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एक स्वतंत्र राष्ट्र के नागरिकों के तौर पर और एक पत्रकार होने के नाते हम इस बात को बखूबी जानते हैं कि स्वतंत्र मीडिया जीवंत लोकतंत्र के स्तंभों में से एक है. भारत की प्रगति के लिए हमें अधिक लोकतांत्रिक बनने की दिशा में लगातार आगे बढ़ना चाहिए.
लेकिन न्यूज ऑर्गेनाइजेशन पर बैन एक बड़ा और खतरनाक कदम है, जो इस देश को और लोकतांत्रिक होने की दिशा से पीछे की ओर ले जाता है. प्रेस को दबाने की कोशिश का विरोध होना चाहिए. देश के नागरिकों के प्रति यह हमारी जिम्मेदारी है.
पिछले कुछ सालों में, छत्तीसगढ़, कश्मीर, असम और केरल में मीडिया को दबाने की कोशिश की गई है जिसे नजरअंदाज किया गया. इसने अधिकारियों को मीडिया संगठनों पर शिकंजा कसने के लिए प्रोत्साहित ही किया है.
हम सरकार में बैठे लोगों द्वारा 'उदार लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांतों' और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के समर्थन में दिए गए बयान को स्वीकार करते हैं. हालांकि, मीडिया संस्थानों को बैन करने का अधिकार सरकार के पास बरकरार है.
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, भाषण, सूचना और असंतोष जाहिर करने के अधिकार को बचाए रखने के लिए मीडिया एक मजबूत कड़ी है. इसे दबाने की बातें या कोशिश- कोई अखबार यहां, कोई टेलीवीजन चैनल वहां, अगर वो हां में हां नहीं मिलाए तो- यह सही नहीं है.
हम- Boom News, Cobrapost, IndiaSpend, Janta Ka Reporter, Narada News, Newslaundry, Scroll.in, Southlive Network, The Hoot, The Quint, The News Minute और The Wire और देश के हजारों पत्रकार प्रेस की स्वतंत्रता में एक साथ हैं.
हमें उम्मीद है कि आप इस मुहिम में हमारा साथ देंगे. #StopMediaBans
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