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क्रिकेट,कॉलेज का प्यार,पैशन: गूगल के बड़े बॉस सुंदर पिचाई की कहानी

अपनी स्कूल क्रिकेट टीम के कैप्टन थे सुंदर पिचाई और कई रिजनल कंपीटिशन में अवॉर्ड जीत चुके हैं.

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गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई
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गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई
(फोटोः Reuters)

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भारतीय मूल के सुंदर पिचाई को अब गूगल के साथ-साथ अल्फाबेट का भी CEO बना दिया गया है. अल्फाबेट, गूगल की पैरेंट कंपनी है, गूगल के को-फाउंडर्स लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन के इस्तीफे के ऐलान के बाद सुंदर पिचाई को ये जिम्मेदारी दी गई है.

चेन्नई में पले-बढ़े सुंदर पिचाई की जिंदगी अपने आप में मिसाल है. चेन्नई से अल्फाबेट तक का उनका ये सफर उस भारत की तस्वीर पेश करते हैं जो ग्लोबल टेक्नॉलजी इंडस्ट्री में अपनी खास पहचान रखता है. चेन्नई सेअपनी स्कूलिंग करने वाले पिचाई हर भारतीय लड़के की तरह क्रिकेट को काफी पसंद करते थे. अपनी स्कूल क्रिकेट टीम के कैप्टन थे और कई रिजनल कंपीटिशन में अवॉर्ड जीत चुके हैं.

IIT खड़गपुर में पढ़ाई और प्यार

सुंदर पिचाई ने आईआईटी खड़गपुर से मैटालर्जिकल इंजीनियरिंग की है, यहा वो अपने बैच के टॉपर तो थे ही साथ ही उन्हें बेस्ट एकेडमिक परफॉमेंस की बदौलत सिल्वर मेडल भी हासिल हुई. पिचाई ने इसके बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एम.एस. की डिग्री हासिल की और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के वार्हटन स्कूल से एमबीए किया. यहां वह ‘सीबल और पाल्मर’ स्कॉलर थे.

साल 2017 में जब पिचाई अपने पुराने कॉलेज आईआईटी खड़गपुर पहुंचे तो उन्होंने स्टूडेंट्स से काफी कुछ शेयर किया था. उन्होंने बताया,

‘इसी कैंपस मैं पहली बार यहीं अपनी पत्नी से मिला था, उस वक्त किसी के पास यूं ही चले जाना और उससे बात करना आसान नहीं था.’
सुंदर पिचाई, 2017 

बता दें कि उनकी पत्नी का नाम अंजलि है और इनके दो बच्चों में एक बेटी और दूसरा बेटा है.

आईआईटी में ही पहली बार देखा कंप्यूटर

अपने भारत दौरे के वक्त आईआईटी खड़गपुर में उन्होंने बताया था,

मैंने अपने जीवन में पहली बार यहीं कम्प्यूटर देखा था. मैं ज्यादा हिंदी नहीं बोल पाता था. मैं चेन्नई से आया था. मैंने लोगों को बोलते हुए देखा था, एक बार मैंने किसी को मेस में देखा और बुलाने के लिए कहा... अबे साले. उस समय मुझे लगा था कि ऐसे ही बोलते हैं.
सुंदर पिचाई, 2017 

साल 2004 में हुई थी गूगल में एंट्री

साल 2004 में गूगल ज्वॉइन करने के साथ ही सुंदर ने कंपनी के कई बड़े प्रोडक्ट को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई. इनमें क्रोम और एंड्रॉयड शामिल हैं. उन्होंने क्रोम ब्राउजर पर उस वक्त काम किया जब कई लोगों ने सोचा कि बाजार को एक नए ब्राउजर की जरूरत नहीं है. गूगल क्रोम बाद में दुनिया का सबसे लोकप्रिय इंटरनेट ब्राउजर बन गया था. साल 2014 में उन्हें गूगल के सभी प्रॉडक्ट्स और प्लेटफॉर्म्स के सभी प्रोडक्ट्स और इंजीनियरिंग की अगुआई करने के लिए नियुक्त किया गया. गूगल के प्लेटफॉर्म्स में सर्च, मैप्स, प्ले, एंड्रोएड, क्रोम, जीमेल और गूगल एप्स (अब जी सुइट) शामिल हैं.

साल 2015 में मिली गूगल की कमान

अगस्त 2015 में सुंदर पिचाई को गूगल का CEO बना दिया गया. वो जुलाई 2017 में गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में शामिल हो गए. बतौर CEO, उनकी लीडरशिप में गूगल ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से लैस प्रॉडक्ट्स और सर्विसेज को डेवलप करने पर जोर दिया. इस दौरान कंपनी ने गूगल क्लाउड और यूट्यूब जैसे नए फील्ड्स में इंवेस्टमेंट किया और मशीन लर्निग (एमएल) के क्षेत्र में अपना स्थान सबसे आगे कायम रखा.

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