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सुंदर पिचाई का हुआ प्रमोशन, गूगल के बाद अब अल्फाबेट के CEO बने

साल 2015 में सुंदर पिचाई को गूगल का सीईओ बनाया गया था.

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आईआईटी, खड़गपुर में सुंदर पिचाई
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आईआईटी, खड़गपुर में सुंदर पिचाई
(फोटो: IANS)

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दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक गूगल और उसकी पैरेंट कंपनी एल्फाबेट का हेड अब एक भारतीय मूल का नागरिक बन गया है. नाम है सुंदरराजन पिचाई. सुंदर का प्रमोशन हुआ है और अब वो अल्फाबेट के CEO बन गए हैं. दरअसल, गूगल को बनाने वाले लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन ने अपने पद से हटने का ऐलान किया था, जिसके बाद सुंदर को ये जिम्मेदारी मिली है. बता दें कि साल 2015 में उन्हें गूगल का सीईओ बनाया गया था.

लैरी पेज और ब्रिन ने सिलिकॉन वैली की कंपनी में बड़े बदलाव की घोषणा अपने कर्मचारियों को लिखे पत्र में की, जिसमें पिचाई का बयान भी शामिल ह. अपने बयान में पिचाई ने साफ किया कि इस बदलाव से अल्फाबेट की स्ट्रक्चर में या उसके काम पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

उन्होंने लिखा,

‘‘मैं गूगल पर अपना ध्यान केंद्रित करता रहूंगा और साथ ही कम्प्यूटिंग के दायरे को बढ़ाने और गूगल को हर किसी के लिए ज्यादा मददगार बनाने के अपने काम को करता रहूंगा. साथ ही मैं अल्फाबेट और प्रौद्योगिक के जरिए बड़ी चुनौतियों से निपटने के उसके आगे के उद्देश्य को लेकर उत्साहित हूं.’’

सुंदर की कहानी

तमिलनाडु में जन्म लेने वाले सुंदर पिचाई ने अपनी शुरुआती पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय से की. इसके बाद वनावनी (चेन्नई) से मेट्रीक्युलेशन की. फिर आईआईटी खड़गपुर से मैटालर्जी में इंजीनियरिंग करते हुए उन्होनें अपने बैच में टॉप करने के साथ-साथ बेस्ट एकेडमिक परफॉमेंस की बदौलत सिल्वर मेडल भी हासिल किया. पिचाई ने इसके बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एम.एस. की डिग्री हासिल की और यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिलवेनिया के वार्हटन स्कूल से एमबीए किया. यहां वह ‘सीबल और पाल्मर’ स्कॉलर थे.

साल 2004 में गूगल ज्वॉइन करने के साथ ही सुंदर ने कंपनी के कई बड़े प्रोडक्ट को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई. इनमें क्रोम और एंड्रॉयड शामिल हैं. उन्होंने क्रोम ब्राउजर पर उस वक्त काम किया जब कई लोगों ने सोचा कि बाजार को एक नए ब्राउजर की जरूरत नहीं है.
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घर में नहीं था रेफ्रिजेटर

एक इंटरव्यू में सुंदर बताते हैं कि जब वो चेन्नई में रहते थे उनके जीवन में एक अलग सी "सादगी" थी. पिचाई ने कहा "हम एक तरह के मामूली घर में रहते थे, दूसरे किरायेदारों के साथ. हम लिविंग रूम के फर्श पर सोते थे. जब मैं बड़ा हो रहा था तो सूखा पड़ा था, और हमें चिंता थी. दूसरे घरों में रेफ्रिजरेटर थे, हमारे पास नहीं थे. लेकिन आखिरकार हमारे पास भी रेफ्रिजरेटर आया. यह एक बड़ी बात थी.”

पहली बार जब गूगल में हुआ इंटरव्यू

सुंदर ने करीब 11 साल पहले गूगल में नौकरी शुरू की थी. सुंदर ने एक इंटरव्यू में बताया था कि गूगल में जॉब के लिए 1 अप्रैल, 2004 को उनका इंटरव्यू हुआ था. तब उसी दौरान जीमेल लॉन्च हुआ था, लेकिन सुंदर को इसके बारे में जानकारी नहीं थी.

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Published: 04 Dec 2019,11:36 AM IST

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