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सुपरटेक का ट्विन टावर (Supertech twin tower demolition) 28 अगस्त को दोपहर 2.30 बजे गिरा दिया गया. जिसके लिए तैयारियां महीनों से चल रही थीं. दरअसल 2012 में पहली बार सोसाइटी के लोगों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. क्योंकि जिस जगह पर 40 मंजिला ट्विन टावर बन रहा था. वो जगह बिल्डर ने पार्क के लिए बताकर फ्लैट बेचे थे. लेकिन बाद में वहां ट्विन टावर खड़े कर दिये. सुपरटेक के ट्विन टावर्स के खिलाफ सोसाइटी के चार लोगों ने लंबी कोर्ट की लड़ाई लड़ी. जिन्होंने अपने रिटायरमेंट के दिन चैन से बिताने के लिए यहां फ्लैट खरीदा था.
उदय भान सिंह तेवतिया 79 साल के हैं और इस वक्त नोएडा के सेक्टर 93-ए में ही रहते हैं. इन्होंने इस पूरी लड़ाई को लीड किया था. उदययभान सिंह CISF के रिटायर्ड DIG हैं. और अभी एमराल्ड कोर्ट रेसिडेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं (president of the Emerald Court Resident Welfare Association) जब उन्होंने शुरू में ये लड़ाई लड़ने का फैसला किया तो सोसाइटी के कई लोगों ने कहा कि, कुछ नहीं होगा.
उन्हें शुरुआत में बिल्डर ने बिल्डिंग प्लान तक नहीं दिया. तब उदय भान सिंह ने कोर्ट जाने से पहले सभी अथॉरिटीज को लेटर लिखा, जिसमें तत्कालीन हाउसिंग मिनिस्टर आजम खान भी शामिल थे.
एसके शर्मा अभी 74 साल के हैं और उदय भान सिंह तेवतिया के साथ RWA में काम कर रहे हैं. एसके शर्मा और उदय भान सिंह ने मिलकर सबसे पहले ये लड़ाई लड़ने का सोचा था. एसके शर्मा भी नोएडा के सेक्टर 93-ए में ही रहते हैं. वो टेलिकॉम डिपार्टमेंट से डिप्टी डीजी के पद पर रिटायर हुए हैं.
रवि बजाज सुपरटेक के साथ लड़ाई लड़ने वाले तीसरे शख्स हैं. इनकी उम्र 65 साल है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से रिटायर हैं. रवि बजाज भी पहले RWA के मेंबर थे लेकिन अब नहीं हैं. उन्होंने निजी कारणों से 2021 में इस्तीफा दे दिया था.
एमके जैन सुपरटेक के खिलाफ लड़ने वालों में सबसे कम उम्र के थे. उनका 59 साल की उम्र में पिछले साल कोरोना के चलते निधन हो गया. ये भी नोएडा के सेक्टर 93-ए में ही रहते थे. कोरोना से मौत के बाद कहा था कि, वो एक साहसी व्यक्ति थे. वो कभी डरे नहीं और कानूनी लड़ाई में पीछे नहीं हटे.
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