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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कई प्रावधानों में बदलाव के साथ आधार की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बैंक खाते खोलने, स्कूलों में दाखिले और मोबाइल कनेक्शन के लिए आधार लिंक करने की जरूरत नहीं होगी.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस एएम खानविलकर के इस फैसले पर तमाम एक्सपर्ट्स ने अपनी राय जाहिर की है.
देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल सोली सोराबजी ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है. उन्होंने कहा, 'ये अच्छा फैसला है. निजी तौर पर मैं जस्टिस चंद्रचूड़ के फैसले से इत्तेफाक रखता हूं, जिसमें उन्होंने निजता का हनन के आधार पर रद्द करने का कहा था.’
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने आधार को संवैधानिक वैधता दी है. लेकिन अब कोई भी निजी कंपनी किसी भी व्यक्ति से आधार कार्ड नहीं मांग सकती है. उन्होंने कहा कि बैंक, मोबाइल कंपनी, स्कूल समेत किसी भी निजी कंपनी के लिए आधार नंबर देना जरूरी नहीं है.
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के मैनेजिंग एडिटर सुनील जैन का कहना है कि अब फर्जी दस्तावेजों के जरिए आतंकी आसानी से मोबाइल सिम कार्ड हासिल कर लेंगे.
एडवोकेट और पॉलिटिकल कमेंटेटर तहसीन पूनावाला ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बड़ी जीत करार दिया है.
पब्लिक पॉलिसी मामलों के जानकार मेघनाद ने कहा कि आधार में कई बड़ी दिक्कतें थीं, जिन्हें सुधार लिया गया.
राइटर आनंद रंगनाथन का मानना है कि पैन कार्ड और आईटी रिटर्न के लिए आधार का अनिवार्य होना सरकार की बड़ी जीत है.
राइटर और स्तंभकार कंचन गुप्ता का कहना है कि पैन कार्ड से आधार लिंक करने की बाध्यता से टैक्स की चोरी नहीं हो पाएगी.
एडवोकेट और कांग्रेस के नेशनल मीडिया पैनलिस्ट जयवीर शेरगिल ने बैंकों और मोबाइल कंपनियों को हिदायत दी है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वे अपने रिकॉर्ड से लोगों के आधार का डेटा मिटा दें.
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