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सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में सुधार के लिए गठित जस्टिस लोढ़ा कमेटी की कई अहम सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि बीसीसीआई में किसी भी मंत्री या फिर सरकारी अधिकारी को पद नहीं मिलना चाहिए.
साथ ही कोर्ट ने बीसीसीआई में प्रतिनिधित्व के लिए ‘वन स्टेट, वन वोट’ संबंधी लोढ़ा कमेटी की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया. यह बीसीसीआई के लिए एक बड़ा झटका है.
चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सोमवार को अपने फैसले में कहा कि कोई व्यक्ति बीसीसीआई और राज्य क्रिकेट संघ में एक साथ पद ग्रहण नहीं कर सकता. कोर्ट के इस फैसले से बीसीसीआई चीफ अनुराग ठाकुर को सबसे अधिक नुकसान होगा, जो अभी हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी हैं.
कोर्ट ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र और गुजरात के तीन क्रिकेट संघ बीसीसीआई से जुड़े हैं. अब एक ही संघ बोर्ड से स्थायी तौर पर जुड़ा रहकर राज्य का प्रतिनिधित्व करेगा. यह काम रोटेशन के आधार पर होगा. बाकी के तीन संघ सम्बद्ध संघ कहे जाएंगे.
कोर्ट ने कहा कि जहां तक बीसीसीआई को सूचना के अधिकार के दायरे में लाने की बात है, तो यह फैसला संसद को करना चाहिए.
हालांकि कोर्ट ने बीसीसीआई द्वारा राज्य क्रिकेट संघों की फंडिंग और प्रसारण अधिकार देने के मामलों में हस्तक्षेप से इनकार कर दिया.
कोर्ट ने बीसीसीआई को तमाम बदलावों को लागू करने के लिए 3 महीने का वक्त दिया है और लोढ़ा समिति से कहा है कि वह इन बदलावों पर नजर रखे.
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