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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने श्रवण बाधित वकीलों (Hearing Impairments) के लिए साइन लैंग्वेज में व्याख्या प्रदान करना शुरू कर दिया है. यह प्रगतिशील कदम हाल ही के एक मामले में प्रदर्शित किया गया था, जहां एक श्रवण-बाधित वकील ने साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर की मदद से वर्चुअल बहस की थी.
एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड, संचिता ऐन ने सीजेआई की अगुवाई वाली पीठ से अनुरोध किया कि वह बधिर (Deaf) वकील सारा सनी को साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर की मदद से विकलांग व्यक्तियों (PWD) के अधिकारों के संबंध में मामला पेश करने की अनुमति दे.
सीजेआई ने अनुरोध स्वीकार कर लिया, जिससे ऑनलाइन सुनवाई आगे बढ़ने का रास्ता खुल गया. इंटरप्रेटर सौरव रॉय चौधरी ने साइन लैंग्वेज के माध्यम से सारा को अदालती कार्यवाही के बारे में तेजी से बताया.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में तत्काल लिस्टिंग मामलों को तेजी से समझाने के लिए इंटरप्रेटर की स्पीड की तारीफ की. सीजेआई ने भी उनका साथ दिया.
इसके बाद वकील-इंटरप्रेटर की जोड़ी मूक सांकेतिक भाषा में बातचीत करने लगी, जो बहस में बदल गई. बेंच ने प्रतिक्रिया के लिए केंद्र की ओर रुख किया, और सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि "केंद्र सरकार द्वारा एक अद्यतन स्थिति रिपोर्ट दायर की जाएगी ताकि याचिका को अगले अवसर पर अंतिम रूप से निपटाया जा सके."
यह ताजा डेवलपमेंट CJI डीवाई चंद्रचूड़ की पीडब्ल्यूडी के लिए समान अवसरों की लंबी समय की कमिटमेंट के मुताबिक है, जो उनके कई आदेशों और फैसलों में स्पष्ट है और इस रुख को दर्शाते हैं.
एक अन्य उल्लेखनीय मामले में, भूमिका ट्रस्ट के संस्थापक अध्यक्ष जयंत सिंह राघव, जो दृष्टिबाधित हैं, उन्होंने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम की धारा 24 के प्रावधानों को लागू करने के लिए तर्क दिया, जिसमें कल्याणकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के तहत विकलांग व्यक्तियों के लिए उच्च सहायता की मांग की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने समान अवसर और समावेशिता की प्रतिबद्धता को और मजबूत करते हुए इस मामले पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.
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