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गोरखा आंदोलन का सामना कर रहे पश्चिम बंगाल के हिंसा प्रभावित दार्जिलिंग से 8 मार्च के बाद सुरक्षा बलों को हटा लिया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की चार कंपनियां को हटाने की मंजूरी दे दी है.
फरवरी के पहले हफ्ते में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से दार्जिलिंग और कालिम्पोंग से सुरक्षा बलों की बाकी चार कंपनियों की वापसी के लिए मंजूरी मांगी थी.
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल की याचिका पर विचार किया. इसमें कहा गया था कि केन्द्रीय सशस्त्र बल की तैनाती केन्द्र सरकार के प्रशासनिक अधिकार में आती है. इसके बाद उसे दार्जिलिंग क्षेत्र से सीएपीएफ की शेष चार कंपनियां हटाने की मंजूरी दी.
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सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश के भी खारिज कर दिया है जिसमें यह कहते हुए केन्द्र को राज्य के पर्वतीय क्षेत्र से सीएपीएफ की कंपनी को हटाने से रोक दिया था कि वहां हालात सामान्य नहीं हुए हैं.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को दार्जिलिंग और कालिंपोंग से सीएपीएफ की आठ में से चार कंपनियां हटाने की मंजूरी दी थी.
वहीं कुछ समय पहले केन्द्र को दार्जिलिंग और कालिंपोग से सीएपीएफ की 15 में से सात कंपनियों को हटाने की इजाजत मिली थी. इन बलों की तैनाती जम्मू कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों की सीमा पर, गुजरात और हिमाचल में चुनाव के दौरान की जानी थी. कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दार्जिलिंग क्षेत्र से सीएपीएफ को हटाने पर रोक लगा दी थी.
(इनपुटः भाषा)
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