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सुप्रीम कोर्ट ने अब किसान कानूनों को लागू करने पर रोक लगा दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चार मेंबर की एक कमेटी का गठन भी किया है. इस कमेटी में खेती-किसानी से जुड़े एक्सपर्ट - कृषि वैज्ञानिक अशोक गुलाटी, डॉ. प्रमोद कुमार जोशी, अनिल धनवट और भूपिंदर सिंह मान हैं. ये कमेटी किसानों की आपत्तियों पर विचार करेगी.
अशोक गुलाटी, प्रमोद जोशी और अशोक घनवट खुले तौर पर किसान कानूनों का समर्थन कर चुके हैं. अब ऐसे में एक-एक करके इन चारों ही एक्सपर्ट के बारे में जानेंगे. साथ ही ये भी जानेंगे कि किसान कानूनों पर इनके विचार कमोबेश क्या हैं?
कमीशन ऑफ एग्रीकल्चरल कॉस्ट एंड प्राइजेस (CACP) के पूर्व चेयरमैन हैं अशोक गुलाटी. CACP केंद्र सरकार को फूड सप्लाई और प्राइजिंग के विषयों पर राय देने वाली संस्था है. गुलाटी को 2015 में पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा चुका है. गुलाटी प्रमुख रूप से एग्रीकल्चर, फूड सिक्योरिटी, एग्री ट्रेड और एग्री वेल्यू जैसे विषयों पर रिसर्च करते हैं.
एग्रीकल्चर रिसर्च की फील्ड में डॉ पीके जोशी एक बड़ा नाम है. उन्होंने नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च मैनेजमेंट हैदराबाद में बतौर डायरेक्टर काम किया है. इसके अलावा नई दिल्ली स्थित नेशनल सेंटर फॉर एग्रीकल्चरल इकनॉमिक्स एंड पॉलिसी रिसर्च में भी डॉ. जोशी डायरेक्टर रह चुके हैं. इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट में डॉ. जोशी साउथ एशिया कॉर्डिनेटर थे. इसके अलावा इंटरनेशनल क्रॉप रिसर्च इंस्टीट्यूट में भी वे सीनियर इकोनॉमिस्ट रह चुके हैं.
अनिल घनवट शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं. ये संगठन केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को समर्थन दे रहा है. संगठन ने कानूनों का स्वागत किया था और इन्हें 'किसानों की वित्तीय आजादी' की तरफ पहला कदम बताया था. घनवट ने कहा था, "नए कानून एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटियों (APMC) की शक्तियों को सीमित करते हैं और ये स्वागत योग्य कदम है."
भारतीय किसान यूनियन (मान) के अध्यक्ष हैं भूपिंदर सिंह मान. और किसान कोऑर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन हैं. वो राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं.
कुछ लोग ये भी सवाल उठा रहे हैं कि क्या ये एक्सपर्ट किसान कानूनों से जुड़ी उन आपत्तियों का समाधान ढूंढ सकेंगे, जिसका समाधान पिछले कुछ महीनों से करीब 40 किसान संगठन और सरकार के कई बड़े मंत्री भी मिलकर नहीं ढूंढ सकें.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर किसान संगठनों का कहना है कि उनके आंदोलन पर कोई फर्क नहीं पडे़गा. किसान आने वाली 26 जनवरी को दिल्ली में ट्रैक्टर रैली करने योजना पर काम जारी रखेंगे.
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