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जम्मू-कश्मीर में पैलेट गन के इस्तेमाल मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई हुई. अदालत ने केंद्र सरकार से कहा कि जम्मू-कश्मीर में गुस्साई भीड़ को काबू करने के लिए पैलेट गन के बजाय किसी और प्रभावी तरीके का इस्तेमाल किया जाए.
पैलेट गन के इस्तेमाल को कोर्ट ने जिंदगी और मौत से जुड़ा हुआ बताया.
चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कश्मीर घाटी में प्रदर्शनों में शामिल बच्चों को लगी चोटों पर चिंता जताई. सरकार से यह भी पूछा कि उन बच्चों के माता-पिता के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई.
वहीं केंद्र सरकार ने राज्य में पैलेट गन के इस्तेमाल का समर्थन किया है. रिपोर्ट के मुताबिक:
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल से कहा कि जम्मू-कश्मीर में नाराज भीड़ से निपटने के प्रभावी तरीकों पर जवाब दाखिल करें. मामले की अगली सुनवाई के लिए 10 अप्रैल की तारीख तय की गई है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 14 दिसंबर को कहा था कि पैलेट गन का 'अविवेकपूर्ण' प्रयोग नहीं करना चाहिए. अधिकारियों को 'समुचित विवेक का प्रयोग' किए जाने के बाद ही इसका इस्तेमाल होना चाहिए.
तत्कालीन चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य में पैलेट गनों के ज्यादा प्रयोग किए जाने का आरोप लगाने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और जम्मू-कश्मीर सरकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
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