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सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से जुड़ी एक याचिका पर लोकसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन से चार हफ्तों में जवाब मांगा है. ये याचिका एक जर्नलिस्ट की ओर से दायर की गई है. याचिका में चुनावों में ईवीएम के इस्तेमाल करने से पहले इसकी टेस्टिंग में प्राइवेट कंपनियों के शामिल होने को चुनौती दी गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई के लिए छह हफ्तों के बाद की तारीख तय की है.
देश में कई पार्टियों ने एक बार फिर चुनावों में ईवीएम से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाया है. ईवीएम में छेड़छाड़ का मुद्दा खास है, क्योंकि इससे जनभावनाएं और लोकतांत्रिक अधिकार जुड़े हुए हैं. ऐसे में ईवीएम के विरोध में उठती आवाजों ने आम लोगों में भी ये डर बना दिया है कि क्या सच में ईवीएम से छेड़खानी हो सकती है?
इससे पहले अमेरिका के एक 'स्वयंभू' साइबर एक्सपर्ट ने ईवीएम को लेकर एक सनसनीखेज दावा किया था. उसका दावा था कि भारत में 2014 के आम चुनाव में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के जरिये ‘धांधली' हुई थी. उसके दावे के मुताबिक, ईवीएम को हैक किया जा सकता है. लेकिन उन्होंने अपने दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिए थे.
वहीं चुनाव आयोग ने इस साइबर एक्सपर्ट के दावों को बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया था. चुनाव आयोग ने कहा था कि EVM को हैक नहीं किया जा सकता है. इसके साथ ही चुनाव आयोग ने मामले को गंभीरता से लेते हुए साइबर एक्सपर्ट के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया था.
दुनिया के कई देशों ने ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों पर बैन लगा रखा है. इसमें जर्मनी, नीदरलैंड और अमेरिका जैसे देश भी शामिल हैं. द हिंदू में लिखे गए बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रह्मण्यम स्वामी के एक लेख के मुताबिक:
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