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SC का RBI को निर्देश- बैंक लॉकर सुरक्षित रखने के लिए नियम बनाएं

कोर्ट ने कहा कि वैश्वीकरण की वजह से लॉकर सेवा की डिमांड बढ़ गई है

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कोर्ट ने कहा कि वैश्वीकरण की वजह से लॉकर सेवा की डिमांड बढ़ गई है
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कोर्ट ने कहा कि वैश्वीकरण की वजह से लॉकर सेवा की डिमांड बढ़ गई है
(फोटो: PTI)

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सुप्रीम कोर्ट ने 19 फरवरी को एक महत्वपूर्ण फैसले में RBI को निर्देश दिया कि छह महीनों के अंदर रेगुलेशन बनाई जाए. जिससे बैंकों को लॉकर सुविधा सुरक्षित रखने में मदद मिले.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा, "बैंक अपने हाथ पीछे खींचकर ये नहीं कह सकते कि लॉकर ऑपरेशन को लेकर उनकी कस्टमर की तरफ कोई उत्तरदायित्व नहीं है. इससे अराजकता की स्थिति बनेगी जहां बैंक समय-समय पर लॉकर के सही मैनेजमेंट को लेकर गलतियां करेंगे और कस्टमर को उसका नुकसान उठाने के लिए छोड़ देंगे."

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंकों की ऐसी गतिविधि कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट का न सिर्फ उल्लंघन होगा बल्कि निवेशक के विश्वास को भी नुकसान पहुंचेगा और उभरती हुई अर्थव्यवस्था की छवि को भी ठेस पहुंचेगी.  

जस्टिस मोहन एम शान्तनागौडर और विनीत सरन ने कहा कि देश कैशलेस अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है और इसकी वजह से लोग लिक्विड असेट को घर में रखने से कतराते हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने बेंच ने अपने फैसले में कहा कि वैश्वीकरण की वजह से लॉकर सेवा की डिमांड बढ़ गई है और इससे लॉकर अनवार्य सर्विस बन गया है.

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मामला क्या था?

सुप्रीम कोर्ट यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया की कोलकाता ब्रांच के एक कस्टमर की याचिका पर फैसला दे रहा था. कस्टमर ने आरोप लगाया था कि सितंबर 1994 में किराया न दे पाने पर बैंक ने उसका लॉकर तोड़ दिया था.

याचिकाकर्ता अमिताभ दासगुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रिड्रेसल कमीशन के फैसले के खिलाफ याचिका दाखिल की थी. कमीशन में कस्टमर ने एक शिकायत दर्ज कर बैंक से उन सात गहनों को लौटाने की मांग की थी, जो लॉकर से निकाले गए थे या फिर 3 लाख दिए जाने की मांग की थी.

कमीशन ने फैसला दिया था कि कंज्यूमर फोरम का इस मामले में अधिकारक्षेत्र सीमित है.

हालांकि, बैंक ने अपनी गलती मान ली थी कि लॉकर तोड़े जाने से पहले याचिकाकर्ता ने बकाये का भुगतान कर दिया था. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक को कस्टमर को एक लिखित नोटिस देना होगा, लॉकर तोड़ने से पहले भुगतान करने के लिए पर्याप्त समय देना होगा.  

कोर्ट ने कहा कि जब लॉकर खोला जाए तो उस समय स्वतंत्र गवाह भी मौजूद रहें क्योंकि इस मामले में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था कि उसके सात में से सिर्फ दो ही गहने लौटाए गए. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से इस मामले में अलग सिविल केस दाखिल करने को कहा और इसकी जांच के लिए संबंधित सबूत भी देने को कहा.

सुप्रीम कोर्ट ने RBI से छह महीनों में समग्र निर्देश जारी करने को कहा जिससे बैंकों के लिए लॉकर फैसिलिटी और सेफ डिपॉजिट को सुरक्षित रखना अनिवार्य हो.

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