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Pegasus पर केंद्र का हलफनामा दाखिल करने से इनकार,राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया

पेगासस जासूसी मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है.

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
<div class="paragraphs"><p>पेगासस जासूसी मामले पर सुनवाई</p></div>
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पेगासस जासूसी मामले पर सुनवाई

(फोटो: क्विंट हिंदी)

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इजरायली स्पाईवेयर पेगासस से कथित जासूसी (Pegasus Snoopgate) मामले में स्वतंत्र जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. सुनवाई के दौरान केंद्र ने कोर्ट को बताया कि वो कथित पेगासस जासूसी विवाद की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर विस्तृत हलफनामा दाखिल नहीं करेगा. केंद्र ने इसके पीछे राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला दिया.

भारत के चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमना की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने 7 सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र को याचिकाओं पर आगे की प्रतिक्रिया दाखिल करने का समय दिया था.

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, "मैं प्राइवेसी के उल्लंघन का दावा करने वाले कुछ लोगों के खिलाफ नहीं हूं. ये गंभीर है. सवाल ये है कि क्या ये पेगासस है या कुछ और. हमारा स्टैंड है कि इसे हलफनामे में डालना राष्ट्रीय हित में नहीं होगा."

इसके बजाय, केंद्र ने बिना सरकारी सदस्यों के डोमेन एक्सपर्ट की एक कमेटी बनाने की अनुमति देने पर जोर दिया है.

एसजी मेहता पर प्रतिक्रिया देते हुए, वरिष्ठ एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि केंद्र का कर्तव्य है कि वो मौलिक अधिकारों के उल्लंघन से संबंधित तथ्य प्रदान करे. उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने पेगासस का इस्तेमाल किया है या नहीं, इस बारे में पुष्टि करने से इनकार करना "न्याय के लिए हानिकारक" है.

सिब्बल ने कहा कि सरकार का कोर्ट को जानकारी देने से इनकार करना "अविश्वसनीय" था.
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मामले में अब तक क्या-क्या हुआ?

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की स्वतंत्र जांच की मांग वाली तमाम याचिकाओं पर 17 अगस्त को केंद्र को नोटिस जारी किया था. इस दौरान कोर्ट ने एसजी तुषार मेहता से पूछा था कि क्या केंद्र ये स्पष्ट करने के लिए एक हलफनामा दाखिल करने को तैयार है कि उसने पेगासस को खरीदा और इस्तेमाल किया या नहीं.

इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर से दुनियाभर के 10 देशों में करीब 50,000 नंबरों को संभावित सर्विलांस या जासूसी का टारगेट बनाया गया. लीक हुए डेटाबेस में 300 भारतीय फोन नंबर सामने आए थे. इसमें राहुल गांधी, प्रशांत किशोर, अशोक ल्वासा और केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल और अश्विनी वैष्णव का नाम भी सामने आया था.

पेरिस स्थित नॉनप्रॉफिट मीडिया फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास लीक हुए नंबरों की लिस्ट थी, जिसे बाद में उन्होंने द वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन, ले मोंडे और द वायर समेत दुनियाभर के करीब 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया, जिसके बाद इस मामले की जांच शुरू हुई. इस जांच को 'पेगासस प्रोजेक्ट' नाम दिया गया है.

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Published: 13 Sep 2021,12:39 PM IST

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