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सुप्रीम कोर्ट के दो जज, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस चेलमेश्वर ने ऐलान किया है कि वे रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेंगे. कुरियन इस साल 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, जबकि जस्टिस चेलमेश्वर करीब ढाई महीने बाद, 22 जून को रिटायर हो रहे हैं.
जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की दलील है कि सरकार और न्यायपालिका के बीच जरूरत से ज्यादा मेलजोल लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. इतना ही नहीं चेलमेश्वर ने मौजूदा सीजेआई दीपक मिश्रा को खत में लिखा, ‘सरकार और न्यायपालिका के बीच जरूरत से अधिक मित्रता लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.’
इतना ही नहीं उन्होंने कुछ जजों के रिटायरमेंट के बाद लाभ का पद पाने की कोशिश जैसे मामलों की सुनवाई की अपील भी की.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया. तब से लेकर अब तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद पर रहे न्यायधीशों में से 44 ऐसे हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से ऑफर किए गए पद को स्वीकार किया. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के जजों में 161 जज ऐसे हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में पद लिया है.
मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 फरवरी 2016 तक सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने वाले 100 जजों में से 70 जजों ने रिटायरमेंट के बाद पद लिया. मिंट ने लीगल पॉलिसी के थिंक टैंक विधि सेंटर की स्टडी के हवाले से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की बड़ी संख्या में आमतौर पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न पदों नियुक्त किए जाते हैं.
साल 2014 में केंद्र में एनडीए की सरकार बनी. इसके बाद ही पूर्व सीजेआई पी सदाशिवम को केरल का गर्वनर बना दिया गया. इस नियुक्ति पर कांग्रेस ने सवाल उठाए. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पी सतशिवम को गर्वनर के पद पर नियुक्ति इसलिए दी जा रही है क्योंकि उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को साल 2013 में एक फेक एनकाउंटर केस में राहत दी थी.
कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने इस मामले में कहा था, 'उन्हें (पी. सदाशिवम) क्यों बनाया गया? यह सवाल पैदा करता है कि क्या उन्होंने कोई काम किया है, जिससे वे खुश हैं. प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) खुश हैं, अमित शाह खुश हैं और इसीलिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है.'
साल 2012 में यानी कि बीजेपी के विपक्ष में रहने के दौरान मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रिटायरमेंट के बाद जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे. अरुण जेटली ने इसके पीछे तर्क दिया था, कि-
अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आजीवन अपने पदों पर रहते हैं. कभी रिटायर नहीं होते. वहां के संविधान में ये व्यवस्था की गई ताकि सुप्रीम कोर्ट के किसी जज पर फैसलों के बदले कुछ पाने की चाहत की आशंका की गुंजाइश बहुत कम रहे.
ब्रिटेन में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज 70 साल की उम्र में रिटायर होते हैं. वहां कोई नियम नहीं है पर सालों साल से यही परंपरा है कि रिटायर होने के बाद कोई जज किसी भी सरकारी पद को नहीं लेता.
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