Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन ने क्यों किया ऐसा ऐलान?

जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन ने क्यों किया ऐसा ऐलान?

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा कि रिटायरमेंट के बाद नहीं लेंगे कोई पद

अंशुल तिवारी
भारत
Updated:
अब तक रिटायरमेंट के बाद 44 सीजेआई ले चुके हैं पद
i
अब तक रिटायरमेंट के बाद 44 सीजेआई ले चुके हैं पद
(फोटोः PTI)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट के दो जज, जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस चेलमेश्वर ने ऐलान किया है कि वे रिटायरमेंट के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेंगे. कुरियन इस साल 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, जबकि जस्टिस चेलमेश्वर करीब ढाई महीने बाद, 22 जून को रिटायर हो रहे हैं.

जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिस कुरियन जोसेफ की दलील है कि सरकार और न्यायपालिका के बीच जरूरत से ज्यादा मेलजोल लोकतंत्र के लिए खतरनाक है. इतना ही नहीं चेलमेश्वर ने मौजूदा सीजेआई दीपक मिश्रा को खत में लिखा, ‘सरकार और न्यायपालिका के बीच जरूरत से अधिक मित्रता लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.’

इतना ही नहीं उन्होंने कुछ जजों के रिटायरमेंट के बाद लाभ का पद पाने की कोशिश जैसे मामलों की सुनवाई की अपील भी की.

अब तक रिटायरमेंट के बाद 44 सीजेआई ले चुके हैं पद

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, 26 जनवरी 1950 को सुप्रीम कोर्ट अस्तित्व में आया. तब से लेकर अब तक चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के पद पर रहे न्यायधीशों में से 44 ऐसे हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद सरकारी या गैर सरकारी संस्थाओं की ओर से ऑफर किए गए पद को स्वीकार किया. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के जजों में 161 जज ऐसे हैं, जिन्होंने रिटायरमेंट के बाद सरकारी या गैर सरकारी संस्थानों में पद लिया है.

किन पदों पर होती हैं नियुक्तियां?

मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 12 फरवरी 2016 तक सुप्रीम कोर्ट से रिटायर होने वाले 100 जजों में से 70 जजों ने रिटायरमेंट के बाद पद लिया. मिंट ने लीगल पॉलिसी के थिंक टैंक विधि सेंटर की स्टडी के हवाले से कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की बड़ी संख्या में आमतौर पर केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा विभिन्न पदों नियुक्त किए जाते हैं.

रिटायरमेंट के बाद पद संभालने वाले सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के जज

  • पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया पी. सदाशिवम 30 सितम्बर 2014 को केरल के गर्वनर बनाए गए.
  • पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एचएल दत्तू 23 फरवरी 2016 को नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन के चेयरपर्सन बनाए गए.
  • सुप्रीम कोर्ट के जज रहे एसजे मुखोपाध्याय को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल का चेयरपर्सन बनाया गया.
  • सुप्रीम कोर्ट के जज रहे बीएस चौहान को लॉ कमीशन का चेयरपर्सन बनाया गया.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

पूर्व CJI को केरल का गर्वनर बनाने पर उठे थे सवाल

साल 2014 में केंद्र में एनडीए की सरकार बनी. इसके बाद ही पूर्व सीजेआई पी सदाशिवम को केरल का गर्वनर बना दिया गया. इस नियुक्ति पर कांग्रेस ने सवाल उठाए. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पी सतशिवम को गर्वनर के पद पर नियुक्ति इसलिए दी जा रही है क्योंकि उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को साल 2013 में एक फेक एनकाउंटर केस में राहत दी थी.

पूर्व सीजेआई और केरल के गर्वनर पी सदाशिवम

कांग्रेस प्रवक्ता आनंद शर्मा ने इस मामले में कहा था, 'उन्हें (पी. सदाशिवम) क्यों बनाया गया? यह सवाल पैदा करता है कि क्या उन्होंने कोई काम किया है, जिससे वे खुश हैं. प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) खुश हैं, अमित शाह खुश हैं और इसीलिए उन्हें सम्मानित किया जा रहा है.'

रिटायरमेंट के बाद जजों की नियुक्ति पर क्या बोले थे जेटली

साल 2012 में यानी कि बीजेपी के विपक्ष में रहने के दौरान मौजूदा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रिटायरमेंट के बाद जजों की नियुक्ति पर सवाल उठाए थे. अरुण जेटली ने इसके पीछे तर्क दिया था, कि-

  • रिटायरमेंट से पहले किए गए फैसले, रिटायरमेंट के बाद नौकरी की इच्छा से प्रभावित होते हैं.
  • रिटायरमेंट के बाद की नौकरियों की इच्छा देश की न्यायपालिका की निष्पक्षता को प्रभावित कर रही है. अब समय आ गया है कि इसे खत्म कर देना चाहिए.
  • रिटायरमेंट के बाद अगला पद लेने के बीच दो साल का अंतराल होना चाहिए, अन्यथा सरकार प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर से कोर्ट को प्रभावित कर सकता है. ऐसे में इस देश में निष्पक्ष न्याय का सपना कभी साकार नहीं हो सकेगा.
  • जजों की बैलट बॉक्स को फॉलो करने की मानसिकता रही है, जो कि समय के साथ चलती ही जा रही है. न्यायपालिका लोकतंत्र की रीढ़ है, ऐसे में अगर लोगों का भरोसा टूटेगा तो उनका लोकतंत्र से भी भरोसा उठ जाएगा.
  • न्यायिक फैसलों से रिटायरमेंट के बाद की नौकरियां तैयार की जा रहीं हैं. इस मामले में मेरा अनुभव बुरा है. जब मैं मंत्री था तो मैं रिटायर्ड जजों से मिलते वक्त सावधानी बरतता था, कि वह मेरे हाथ में कहीं अपना बायोडेटा न थमा दे. दो तरह के जज होते हैं, एक वो होते हैं जो कानून जानते हैं और दूसरे वो होते हैं जो कानून मंत्री को जानते हैं.

US, ब्रिटेन में क्या है स्थिति?

अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आजीवन अपने पदों पर रहते हैं. कभी रिटायर नहीं होते. वहां के संविधान में ये व्यवस्था की गई ताकि सुप्रीम कोर्ट के किसी जज पर फैसलों के बदले कुछ पाने की चाहत की आशंका की गुंजाइश बहुत कम रहे.

ब्रिटेन में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के जज 70 साल की उम्र में रिटायर होते हैं. वहां कोई नियम नहीं है पर सालों साल से यही परंपरा है कि रिटायर होने के बाद कोई जज किसी भी सरकारी पद को नहीं लेता.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 10 Apr 2018,03:09 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT