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सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च को केंद्र सरकार से कहा कि वो कोरोना वायरस पर रियल टाइम इन्फोर्मेशन के लिए 24 घंटे में एक पोर्टल बनाए, जिससे फेक न्यूज के जरिए फैलाए जा रहे डर से निपटा जा सके.
बता दें कि देश में कोरोना वायरस से निपटने के लिए लागू लॉकडाउन के बीच बड़े शहरों से कामगारों के पलायन के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने 31 मार्च को सुनवाई आगे बढ़ाई.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह "इस चरण में COVID 19 के प्रसार को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से संतुष्ट है" लेकिन साथ ही कोर्ट ने सरकार से रोज के घटनाक्रमों पर एक दैनिक बुलेटिन शुरू करने के लिए कहा, ताकि लोगों के संदेह को दूर किया जा सके.
एक आदेश में चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कोरोनोवायरस लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों पर अपनी चिंताओं को जाहिर किया. कोर्ट ने कहा कि '3 महीने के लॉकडाउन' जैसी फर्जी खबरों के चलते प्रवासी मजदूरों में डर और घबराहट की स्थिति पैदा हुई. कोर्ट ने उम्मीद जताई कि सार्वजनिक सुरक्षा के हित में सभी को केंद्र के सभी निर्देश और सलाह का पालन करना चाहिए.
बार एंड बेंच के मुताबिक, केंद्र ने बताया कि कोरोना वायरस पर लोगों के सवालों के जवाब के लिए एक्सपर्ट्स की एक कमेटी का गठन किया जाना है. इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया है कि 24 घंटे के अंदर इस कमेटी का गठन किया जाए.
केंद्र की तरफ से कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ''22 लाख 88 हजार से ज्यादा लोगों को खाना मुहैया कराया जा रहा है. ये जरूरतमंद, प्रवासी और दिहाड़ी मजदूर हैं.''
इन याचिकाओं में 21 दिन के देशव्यापी कोरोना वायरस लॉकडाउन की वजह से बेरोजगार होने वाले हजारों प्रवासी कामगारों के लिए खाना, पानी, दवा और समुचित चिकित्सा सुविधाओं जैसी राहत दिलाने का अनुरोध किया गया.
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