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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जुड़ा ट्वीट करने के मामले में गिरफ्तार पत्रकार प्रशांत कनौजिया को तुरंत जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि महज एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए किसी शख्स को लंबे समय तक न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा सकता.
इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि वह प्रशांत के ट्वीट का समर्थन नहीं करता है, लेकिन उनकी 22 जून तक न्यायिक हिरासत का (मैजिस्ट्रेट का) आदेश उचित नहीं है. बता दें कि प्रशांत की गिरफ्तारी के खिलाफ उनकी पत्नी जगीशा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. इस याचिका पर जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस अजय रस्तोगी की वेकेशन बेंच ने सुनवाई की.
प्रशांत की पत्नी जगीशा ने कोर्ट से कहा- ‘शुक्रिया’
इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा था कि योगी से जुड़े ट्वीट काफी गंभीर हैं, ऐसे में संदेश जाना चाहिए कि इस तरह की चीजें ना बोली जाएं. उनके जवाब में जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा, ''प्रशांत कनौजिया की रिहाई के आदेश का मतलब उनके ट्वीट का समर्थन नहीं है.''
इस मामले पर पुलिस ने बताया था कि योगी आदित्यनाथ के खिलाफ ‘आपत्तिजनक’ सोशल मीडिया पोस्ट को शेयर करने और उनकी इमेज को खराब करने के आरोप में एक पत्रकार को गिरफ्तार किया गया.
प्रशांत ने हेमा नाम की एक महिला का वीडियो शेयर किया था. वीडियो को शेयर करते हुए प्रशांत ने एक कमेंट भी लिखा था. पूरा विवाद इसी पोस्ट से जुड़ा हुआ था.
वीडियो में महिला (हेमा) पत्रकारों से बातचीत करते हुए योगी आदित्यनाथ से प्यार संबंधी दावे कर रही थी. महिला ने दावा किया कि वो पिछले एक साल से योगी आदित्यनाथ के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए टच में है. महिला का कहना था कि वो पूरे प्रकरण के चलते तनाव में है और योगी आदित्यनाथ को सामने आकर उससे बातचीत करनी चाहिए.
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