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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी पर सवाल उठाए हैं. साथ ही केंद्र सरकार को पॉलिसी से जुड़े सभी दस्तावेजों को पेश करने का निर्देश दिए हैं. डीवाई चंद्रचूड़, एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भट की पीठ ने कोविड से जुड़े मामलों पर सुनवाई के दौरान केंद्र से तीनों कोरोना वैक्सीन की खरीद पर अब तक का आंकड़ा भी मांगा है.
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा है कि इन आंकड़ों से ये जानकारियां मिलनी चाहिए, वो हैं-
कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि फेज 1,2,3 में बाकी की आबादी को वैक्सीन देने की रूपरेखा क्या है.
इससे पहले 30 अप्रैल को कोविड मैनेजमेंट पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से नई वैक्सीन पॉलिसी पर दोबारा विचार करने को कहा था. केंद्र ने 9 मई को इस पर कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया. केंद्र ने कहा कि वैक्सीन पॉलिसी 'न्यायसंगत वितरण' सुनिश्चित करती है और इसमें 'सुप्रीम कोर्ट के दखल की जरूरत नहीं है.' कोर्ट ने 30 अप्रैल को कहा था कि जिस तरीके से नई पॉलिसी बनाई गई है, ऐसा लगता है कि ये संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत आने वाली पब्लिक हेल्थ को ‘हानि’ पहुंचा सकती है.
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 30 जून को तय की है. साथ ही केंद्र सरकार से दो हफ्ते के भीतर शपथपत्र दाखिल करने के लिए कहा है.
इससे पहले 2 जून को ही दिल्ली हाईकोर्ट ने वैक्सीन की कमी को लेकर केंद्र और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा है कि क्या आप 6 हफ्तों की एक्सपायरी खत्म होने से पहले लोगों को कोवैक्सीन का दूसरा डोज दे पाएंगे? कोर्ट ने कहा- 'अगर आप लोगों को कोवैक्सीन का दूसरा डोज नहीं दे पा रहे हैं तो आपने वैक्सीनेशन शुरू ही क्यों किया था?' हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार को अपनी स्थिति साफ करने के लिए कहा है. कोवैक्सीन के तय समय में दूसरा डोज देने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दो याचिकाएं आईं थी जिस पर सुनवाई चल रही थी.
जस्टिस सांघी ने सुनवाई करते हुए कहा- 'हम ये नहीं कह रहे हैं कि बुजुर्गों की जान की कीमत नहीं है. लेकिन दूसरी लहर में युवा आबादी पर वैक्सीन का ज्यादा असर हुआ. मुझे वैक्सीन पॉलिसी बिल्कुल समझ नहीं आ रही है.'
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