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सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड योजना पर रोक लगाने के लिये दायर अर्जी पर केन्द्र और निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा है.
इस संगठन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि इस योजना का मतलब बगैर हिसाब किताब वाले काले धन को सत्ताधारी दल के पक्ष में देना है. उन्होंने इस योजना पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुये भारतीय रिजर्व बैंक के एक दस्तावेज का भी जिक्र कया. पीठ ने कहा, ‘‘हम इसे देखेंगे हम इस मामले को दो सप्ताह बाद लिस्ट कर रहे हैं.’’
निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि ये सभी दलीलें पहले दी जा चुकी हैं. उन्होंने कहा कि इस योजना के खिलाफ गैर सरकारी संगठन के आवेदन पर जवाब देने के लिये चार हफ्ते का समय दिया जाए.
सरकार ने 2 जनवरी, 2018 को इलेक्टोरल बॉन्ड योजना अधिसूचित की थी. इस योजना के प्रावधानों के अनुसार कोई भी भारतीय नागरिक या प्रतिष्ठान इलेक्टोरल बॉन्ड खरीद सकता है. ये इलेक्टोरल बॉन्ड सिर्फ उन राजनीतिक पार्टियों को मिलेगी, जो जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 29ए के तहत रजिस्टर हैं और उन्हें पिछले लोकसभा चुनाव या विधान सभा चुनाव में कुल मतदान का एक प्रतिशत से कम मत नहीं मिले हैं.
अधिसूचना के अनुसार राजनीतिक पार्टी अधिकृत बैंक में खाते के माध्यम से ही इन इलेक्टोरल बॉन्ड को भुनाने के योग्य होंगे.
इनपुट भाषा से
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