advertisement
सुप्रीम कोर्ट के प्रवक्ता ने 16 फरवरी की रात स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस नहीं दर्ज हुआ है. प्रवक्ता ने अपने बयान में कहा, "केस नंबर SMC (Crl) 02/2021 का स्टेटस सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अनजाने और असावधानी में डाल दिया गया था."
इससे पहले बार एंड बेंच ने रिपोर्ट किया था कि सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही संज्ञान लेते हुए वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस दर्ज किया है.
अगस्त 2020 के कुछ ट्वीट्स को लेकर राजदीप सरदेसाई पर आपराधिक अवमानना का मामला चलाने के लिए आस्था खुराना नाम की एक व्यक्ति ने याचिका डाल रखी है.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट कहती है कि 14 अगस्त को जब प्रशांत भूषण को अवमानना का दोषी करार दिया गया था तो राजदीप सरदेसाई ने एक ट्वीट किया था. इस ट्वीट के अलावा सरदेसाई के और कई ट्वीट्स को आस्था खुराना ने अपनी याचिका का हिस्सा बनाया है.
राजदीप ने इस ट्वीट में लिखा था, "प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी ठहराया. ये तब है जब कश्मीर में हिरासत में रखे गए लोगों की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाएं एक साल से ज्यादा समय से लंबित हैं."
खुराना ने सरदेसाई के उन पुराने ट्वीट्स को भी अपनी याचिका में डाला, जिसमें उन्होंने प्रशांत भूषण का केस सुनने वाले जस्टिस अरुण मिश्रा और पूर्व CJI रंजन गोगोई पर कथित आक्षेप लगाते हैं.
कोर्ट की अवमानना कानून का सेक्शन 15 और सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की कार्रवाई से संबंधित रूल 3 के मुताबिक, किसी निजी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक अवमानना की याचिका पर सुनवाई से पहले अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति जरूरी है.
अटॉर्नी जनरल से सहमति नहीं मिलने के बावजूद खुराना ने अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल कर दी थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)