Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019AGR केस में SC-‘ये मत समझिए कि आपके हाथ बड़े हैं, हम छोटे कर देंगे’

AGR केस में SC-‘ये मत समझिए कि आपके हाथ बड़े हैं, हम छोटे कर देंगे’

सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को फटकार लगाई

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को फटकार  लगाई
i
सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को फटकार लगाई
(फाइल फोटो: PTI) 

advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया कई हिस्सों में देने की टाइमलाइन तय करने पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. वोडाफोन-आइडिया, भारती एयरटेल जैसे कई टेलीकॉम ऑपरेटर्स को AGR बकाया देना है. 20 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल ने बकाया देने के लिए 15 साल का समय मांगा, तो वहीं टाटा टेलीसर्विसेज ने 7-10 साल की मांग रखी.

जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 10 अगस्त तय की है. जस्टिस मिश्रा के अलावा बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह मौजूद रहे.

कोर्ट ने डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन (DoT) से अगले सात दिनों में रिलायंस कम्युनिकेशन, एयरसेल और वीडियोकॉन टेलीकॉम जैसी दिवालिया कंपनियों की इंसॉल्वेंसी प्रोसीडिंग जमा कराने के निर्देश दिए.

बकाये का दोबारा आकलन नहीं होगा: कोर्ट

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया कि AGR बकाये के दोबारा आकलन का कोई स्कोप नहीं है, चाहे इसे किसी और नाम जैसे कि दोबारा कैलकुलेशन का नाम ही क्यों न दिया जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को फटकार भी लगाई. बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, जस्टिस अरुण मिश्रा ने तुषार मेहता के ‘रिकैलकुलेशन’ संबंधित टिप्पणी पर कहा, “पहले आपने सेल्फ-असेसमेंट कहा और अब आप रिकैलकुलेशन कह रहे हैं. आप सॉलिसिटर जनरल हैं और आप ऐसा नहीं कर सकते. आप कोर्ट का कंटेम्प्ट नहीं कर सकते. ये क्या बकवास है?”

जब मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार बकाये का दोबारा आकलन या कैलकुलेशन की इजाजत नहीं दे रही है और AGR पर कोर्ट के फैसले का सम्मान होगा, तो जस्टिस मिश्रा ने कहा,

ये मत समझिए कि आपके हाथ बहुत बड़े हैं.... हम इन्हें छोटा कर देंगे.
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

वोडाफोन-आइडिया की क्षमता पर कोर्ट का सवाल

कोर्ट ने वोडाफोन-आइडिया की मौजूदा वित्तीय स्थिति देखते हुए AGR बकाया चुकाने की उसकी क्षमता पर सवाल किए. DoT ने कंपनी से 58,254 करोड़ बकाया मांगा है और इसके लिए कंपनी ने कोर्ट से 20 साल की जगह 15 साल मांगे हैं.

वोडाफोन-आइडिया के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि सारा रेवेन्यू लायबिलिटी, टैक्स और बकाया चुकाने में चला गया है. रोहतगी ने कहा कि सरकार 8000 करोड़ का GST रिफंड अपने पास रख सकती है, जो उसे वोडाफोन-आइडिया को देना है.

पिछले 15 सालों में वोडाफोन-आइडिया की सारी नेट वर्थ चली गई है. पिछले 10 सालों के 6.27 ट्रिलियन के टोटल रेवेन्यू में से 4.95 ट्रिलियन खर्चे में चले गए हैं.
मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया

एयरटेल ने बकाये पर जताई आपत्ति

भारती एयरटेल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि DoT ने AGR बकाया गलत तरीके से कैलकुलेट किया है. सिंघवी ने कहा कि बकाये में स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) जोड़ा गया है, जिसकी वजह से ये 43,780 करोड़ हो गया है. सिंघवी का कहना था कि AGR बकाये में SUC नहीं होता बल्कि सिर्फ लाइसेंस फीस होती है.

सिंघवी ने दावा किया कि असल में सिर्फ 21,000 करोड़ का बकाया बनता है. इस पर कोर्ट ने कहा, "हम आपको दोबारा आकलन या कैलकुलेशन में नहीं जाने देंगे. आप 20,000 करोड़ से ज्यादा की लायबिलिटी पर विवाद कर रहे हैं."

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT