advertisement
सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाया कई हिस्सों में देने की टाइमलाइन तय करने पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. वोडाफोन-आइडिया, भारती एयरटेल जैसे कई टेलीकॉम ऑपरेटर्स को AGR बकाया देना है. 20 जुलाई को हुई सुनवाई के दौरान वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल ने बकाया देने के लिए 15 साल का समय मांगा, तो वहीं टाटा टेलीसर्विसेज ने 7-10 साल की मांग रखी.
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता में तीन जजों की बेंच ने मामले में अगली सुनवाई की तारीख 10 अगस्त तय की है. जस्टिस मिश्रा के अलावा बेंच में जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस एमआर शाह मौजूद रहे.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने साफ किया कि AGR बकाये के दोबारा आकलन का कोई स्कोप नहीं है, चाहे इसे किसी और नाम जैसे कि दोबारा कैलकुलेशन का नाम ही क्यों न दिया जाए.
जब मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार बकाये का दोबारा आकलन या कैलकुलेशन की इजाजत नहीं दे रही है और AGR पर कोर्ट के फैसले का सम्मान होगा, तो जस्टिस मिश्रा ने कहा,
कोर्ट ने वोडाफोन-आइडिया की मौजूदा वित्तीय स्थिति देखते हुए AGR बकाया चुकाने की उसकी क्षमता पर सवाल किए. DoT ने कंपनी से 58,254 करोड़ बकाया मांगा है और इसके लिए कंपनी ने कोर्ट से 20 साल की जगह 15 साल मांगे हैं.
वोडाफोन-आइडिया के वकील मुकुल रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि सारा रेवेन्यू लायबिलिटी, टैक्स और बकाया चुकाने में चला गया है. रोहतगी ने कहा कि सरकार 8000 करोड़ का GST रिफंड अपने पास रख सकती है, जो उसे वोडाफोन-आइडिया को देना है.
भारती एयरटेल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि DoT ने AGR बकाया गलत तरीके से कैलकुलेट किया है. सिंघवी ने कहा कि बकाये में स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज (SUC) जोड़ा गया है, जिसकी वजह से ये 43,780 करोड़ हो गया है. सिंघवी का कहना था कि AGR बकाये में SUC नहीं होता बल्कि सिर्फ लाइसेंस फीस होती है.
सिंघवी ने दावा किया कि असल में सिर्फ 21,000 करोड़ का बकाया बनता है. इस पर कोर्ट ने कहा, "हम आपको दोबारा आकलन या कैलकुलेशन में नहीं जाने देंगे. आप 20,000 करोड़ से ज्यादा की लायबिलिटी पर विवाद कर रहे हैं."
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)