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सुप्रीम कोर्ट ने बकरीद (Bakrid) के लिए कोविड प्रतिबंधों (covid restrictions) में छूट देने के फैसले को लेकर केरल सरकार (Kerala Government) को फटकार लगाई है. 20 जुलाई को कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार व्यापारियों के दबाव में आ गई और ये 'स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है.'
जस्टिस रोहिंग्टन नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, "ज्यादा कोविड संक्रमण इलाकों में बकरीद के लिए दुकानें खोलने को लेकर केरल सरकार व्यापारियों के दबाव में है और ये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है. ये जीवन और स्वास्थ्य को बचाने की नाकामी दिखाती है."
कोर्ट ने केरल सरकार से उसके कांवड़ यात्रा आदेश का पालन करने को कहा है.
सुनवाई के दौरान केरल सरकार ने अपने हलफनामे में ही बताया था कि छूट देने के लिए उस पर व्यापारियों और जनता का दबाव है. इस पर कोर्ट ने कहा कि धार्मिक और बाकी सभी तरह के समूहों का दबाव लोगों के जीने के मौलिक अधिकार से नहीं खेल सकते.
केरल में बकरीद के मौके पर तीन दिनों के लिए लॉकडाउन नियमों में ढील देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. दिल्ली के एक निवासी पीकेडी नांबियार ने कोर्ट द्वारा उत्तर प्रदेश में कावंड़ यात्रा को लेकर शुरू किए गए स्वत संज्ञान मामले में इंटरवेंशन याचिका दाखिल की थी.
बार एंड बेंच के मुताबिक, याचिकाकर्ता ने कहा, "केरल सरकार ने आगामी बकरीद त्योहार को ध्यान में रखते हुए 18, 19 और 20 जुलाई को लॉकडाउन प्रतिबंधों में 3 दिनों की छूट की घोषणा की. ये जानकर आश्चर्य होता है कि केरल में लगातार चिंताजनक आंकड़े दिख रहे हैं, जबकि ज्यादातर दूसरे राज्यों ने अपनी स्थिति में सुधार किया है. ये दिखाता है कि फैसले में कोई मेडिकल सलाह नहीं ली गई, बल्कि राजनीतिक और सांप्रदायिक विचार थे."
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने 18 जुलाई को बयान जारी कर केरल सरकार के बकरीद पर ढील देने के फैसले की आलोचना की थी और कहा था कि अगर सरकार अपना आदेश वापस नहीं लेती है तो वो इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के लिए मजबूर होंगे.
IMA ने कहा कि राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच केरल सरकार के फैसले से उन्हें 'दुख' हुआ है और केरल सरकार यह निर्णय तब ले रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी भी सामूहिक समारोह के खिलाफ चेतावनी दी थी और कई राज्यों ने तीर्थ यात्रा रद्द कर दी हैं.
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