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सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल को साफ किया कि वो एक एडवोकेट के इस दावे की तह तक जायेगा कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को यौन उत्पीड़न के आरोप में फंसाने की एक बड़ी साजिश है.
जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरिमन और जस्टिस दीपक गुप्ता की तीन सदस्यीय स्पेशल बेंच ने कहा कि अगर फिक्सर अपना काम और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करते रहे, जैसा कि दावा किया गया है, तो न तो ये संस्था और न ही हम में से कोई बचेगा.
बेंच ने बड़ी साजिश का दावा करने वाले एडवोकेट उत्सव सिंह बैंस को गुरुवार की सुबह तक एक और हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है. इससे पहले, एडवोकेट ने दावा किया कि उसके पास कुछ और अहम सबूत हैं. बेंच ने कहा कि इस मामले में अब गुरुवार को आगे सुनवाई की जायेगी.
बेंच ने कहा, ‘‘हम जांच करेंगे और फिक्सरों के सक्रिय होने और न्यायपालिका के साथ हेराफेरी करने के कथित दावों की तह तक जायेंगे. अगर वे अपना काम करते रहे तो हममें से कोई भी नहीं बचेगा. इस व्यवस्था में फिक्सिंग की कोई भूमिका नहीं है. हम इसकी जांच करेंगे और इसे अंतिम निष्कर्ष तक ले जायेंगे.''
इसके साथ ही बेंच ने साफ किया कि उत्सव बैंस के व्यापक साजिश के दावे पर सुनवाई और चीफ जस्टिस के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की आंतरिक जांच के आदेश के बीच कोई संबंध नहीं है.
बेंच ने इस सारे घटनाक्रम को बहुत ही ज्यादा परेशान करने वाला बताया क्योंकि यह देश की न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित है. बेंच ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल और सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता का यह अनुरोध ठुकरा दिया कि कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल से इस मामले की जांच करायी जाये. बेंच ने कहा कि इस समय कोर्ट किसी भी तरह की जांच में नहीं पड़ रहा है.
पीठ ने कहा, ‘‘यह कोई जांच नहीं है. हम इन अधिकारियों से सीक्रेट मुलाकात कर रहे हैं. हम नहीं चाहते कि कोई भी सबूत सार्वजनिक हो.''
बेंच ने कहा कि उत्सव बैंस को पूरी सुरक्षा दी जानी चाहिए क्योंकि कोर्ट नहीं चाहता कि सबूत नष्ट हों या उनके साथ कोई समझौता किया जा सके. सुनवाई के आखिरी पलों में बैंस ने पीठ से कहा कि उनके पास इस मामले से संबंधित कुछ बहुत ही अहम और संवेदनशील सबूत हैं और उन्हें इस संबंध में अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने की इजाजत दी जाये. बेंच ने बैंस की ये मांग मंजूर करते हुये कहा, ‘‘यह टाइप किया हुआ नहीं बल्कि हाथ से लिखा होना चाहिए.''
सुप्रीम कोर्ट की 35 साल की एक महिला कर्मचारी ने 19 अप्रैल को लगाए आरोप में कहा है कि चीफ जस्टिस ने पहले उसका सेक्सुअल हैरेसमेंट किया. फिर उसे नौकरी से बर्खास्त करवा दिया. 22 जजों को भेजे गए शपथपत्र में महिला ने कहा है कि रंजन गोगोई ने पिछले साल 10 और 11 अक्टूबर को अपने घर पर उसके साथ यौन दुर्व्यवहार किया.
(इनपुट : भाषा)
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