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SC ने केंद्र से पूछा- 72 महिला सेना अधिकारियों को क्यों नहीं दिया स्थायी कमीशन?

कोर्ट ने सरकार से कारणों का पूरा चार्ट पेश करने को कहा है.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>सुप्रीम कोर्ट</p></div>
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सुप्रीम कोर्ट

(फोटो- क्विंट हिन्दी)

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सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) ने शुक्रवार को सरकार से 72 महिला सैन्य अधिकारियों को स्थायी कमीशन के लिए अयोग्य पाए जाने के कारणों को स्पष्ट करने को कहा. साथ ही कहा कि उन्हें अदालत की सुनवाई की अगली तारीख तक नौकरी से मुक्त नहीं किया जाना चाहिए.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और बीवी नागरत्ना ने तब हस्तक्षेप किया जब महिला अधिकारियों के वकीलों ने कहा कि उनके मुवक्किलों को स्थायी कमीशन के लिए 60% मूल्यांकन सीमा को संतुष्ट करने के बावजूद अयोग्य घोषित किया गया था. जैसा कि पिछले मार्च में एक फैसले में अदालत ने निर्धारित किया था.

25 मार्च के आदेश ने सरकार को महिला शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया, जिन्होंने सेना के 1 अगस्त 2020 के आदेश द्वारा निर्धारित चिकित्सा मानदंडों को पूरा करने और अनुशासनात्मक और सतर्कता मंजूरी प्राप्त करने के अधीन अपने मूल्यांकन में 60% अंक प्राप्त किए.

'आदेश का उल्लंघन'

वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा, हुजेफा अहमदी और वी. मोहना की अध्यक्षता में महिला अधिकारियों ने कहा कि उनकी अयोग्यता मार्च के फैसले का घोर उल्लंघन है.

अरोड़ा ने बताया कि “सुप्रीम कोर्ट स्थायी कमीशन पर बहुत स्पष्ट था. हम सभी के पास 60 प्रतिशत से ऊपर है. हम सभी मेडिकली फिट हैं. और हमारे खिलाफ कोई विजिलेंस का मामला नहीं है. हम स्थायी कमीशन के सभी मानदंडों को पूरा करते हैं.”

कोर्ट ने सरकार से कारणों का पूरा चार्ट पेश करने को कहा है. इसने मामले को 8 अक्टूबर के लिए पोस्ट किया.

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अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने कहा कि 72 महिला अधिकारियों को व्यक्तिगत कारणों से खारिज कर दिया गया होगा और एक कंबल के आधार पर अयोग्य नहीं ठहराया जाएगा. वह प्रत्येक मामले में कारणों का विश्लेषण करने के लिए सहमत हुए.

उन्होंने सभी प्रासंगिक विवरणों के साथ अदालत में वापस आने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा. अहमदी ने कहा कि जो हुआ वह प्रक्रिया का दुरुपयोग था .

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