Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019सबरीमाला मामला: 22 जनवरी को ओपन कोर्ट में होगी सुनवाई

सबरीमाला मामला: 22 जनवरी को ओपन कोर्ट में होगी सुनवाई

पुर्नविचार को लेकर क्या है याचिकाकर्ताओं की दलील

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
सबरीमाला मंदिर परिसर
i
सबरीमाला मंदिर परिसर
(फोटो: पंकज कश्यप के ब्लॉग से साभार)

advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को एंट्री की अनुमति देने के फैसले पर कोई रोक नहीं लगायी जाएगी. साथ ही कोर्ट ने कहा कि सभी 49 पुनर्विचार याचिकाओं की सुनवाई अगले साल 22 जनवरी को ओपन कोर्ट में होगी.

बीते 28 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने केरल स्थित सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत दी थी. इस फैसले पर पुर्नविचार करने की मांग को लेकर अब तक 49 याचिकाएं दाखिल की जा चुकी हैं.

सुप्रीम कोर्ट में आज इन सभी याचिकाओं पर सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविल्कर, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा की बेंच ने सुनवाई की.

याचिकाकर्ताओं की दलील

याचिकाकर्ताओं ने फैसले में प्रक्रियात्मक त्रुटियों का मुद्दा उठाकर मामले की दोबारा सुनवाई की मांग की है. इसके साथ ही याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि धार्मिक विश्वास को 'तार्किक आधार पर नहीं परखा जा सकता.'

नेशनल एसोसिएशन ऑफ अयप्पा डिवोटीज, नैयर सेवा समाज और 17 अन्य संगठनों ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सबरीमाला पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने बीते 28 सितंबर को ऐतिहासिक फैसला देते हुए केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 आयुवर्ग की सभी महिलाओं को प्रवेश को मंजूरी दे दी थी. कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश न मिलना उनके मौलिक और संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.

अदालत की पांच सदस्यीय पीठ में से चार ने सर्वसम्मति से फैसला सुनाया, जबकि पीठ में शामिल एकमात्र महिला जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग राय रखी.

  • तत्कालीन सीजेआई दीपक मिश्रा ने कहा, "सभी भक्त बराबर हैं और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं हो सकता."
  • जस्टिस एम.एम. खानविलकर ने कहा, "शारीरिक या जैविक आधार पर महिलाओं के अधिकारों का हनन नहीं किया जा सकता."
  • जस्टिस रोहिंटन एफ. नरीमन ने अलग लेकिन समवर्ती फैसला सुनाते हुए कहा कि सभी धर्मों के लोग मंदिर जाते हैं.
  • जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने भी अलग लेकिन समवर्ती फैसले में कहा, "धर्म महिलाओं को उनके पूजा करने के अधिकार से वंचित नहीं रख सकता.

कोर्ट ने कहा कि सबरीमाला मंदिर किसी संप्रदाय का मंदिर नहीं है. अयप्पा मंदिर हिंदुओं का है, यह कोई अलग इकाई नहीं है.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 13 Nov 2018,10:47 AM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT