advertisement
5 राज्यों में विधानसभा चुनावों से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को आदेश जारी कर सकता है. इससे पहले कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था.
इस मामले में इलेक्टोरल बॉन्ड के खिलाफ NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने याचिका दायर की है.
इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने की मांग को लेकर बुधवार को NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की याचिका पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपान्ना और वी रामासुब्रह्मणयम की बेंच ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण, चुनाव आयोग की ओर से अटॉर्नी जनरल ऑफ इंडिया के के वेणुगोपाल, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और सीनियर एडवोकेट राकेश द्विवेदी की दलीलों को सुना.अब 26 मार्च को सुप्रीम कोर्ट इलेक्टोरल बॉन्ड सुप्रीम कोर्ट आदेश जारी कर सकता है.
बता दें कि पूनम अग्रवाल ने इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम पर कई खुलासे किए. बॉन्ड पर छुपे हुए यूनिक अल्फान्यूमेरिक कोड से लेकर डोनर के गुमनाम होने के सरकारी दावे की सच्चाई तक, पूनम ने इन बॉन्ड्स के हर पहलू को कवर किया. जनहित में रिपोर्टिंग और उसके प्रभाव के लिए पूनम को 'इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग' का अवॉर्ड दिया गया है.
इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक के खिलाफ है. हालांकि चुनाव आयोग का कहना है कि वे इलेक्टोरल बॉन्ड का विरोध नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसमें अधिक पारदर्शिता चाहते हैं.
वहीं याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण का कहना है कि इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे का स्त्रोत पता नहीं चलता है. कॉर्पोरेट कंपनियों से मिलने वाला यह गुप्त दान लोकतंत्र के लिए नुकसानदेह है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)