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बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा, नौकरी मिलना हुआ बेहद मुश्किल: सर्वे

सर्वे में हिस्सा लेने वालों में से 49% लोगों ने ये माना है कि पिछले 3-4 सालों में नौकरी मिलना बेहद मुश्किल हुआ है.

क्विंट हिंदी
भारत
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गुजरात के जांबूर गांव में अपने घर के बाहर बैठे 50 साल के बेरोजगार यूसुफभाई मोरी
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गुजरात के जांबूर गांव में अपने घर के बाहर बैठे 50 साल के बेरोजगार यूसुफभाई मोरी
(फोटो: नीरज गुप्ता/द क्विंट)

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बजट से ठीक पहले देश के मूड को भांपने के लिए किए गए सर्वे में हिस्सा लेने वालों में से 49 फीसदी लोगों ने ये माना है कि पिछले 3-4 सालों में नौकरी मिलना बेहद मुश्किल हुआ है. वहीं सिर्फ 21 फीसदी लोगों का मानना है कि कोई फर्क नहीं पड़ा है. ये सर्वे ABP न्यूज चैनल ने लोकनीति-सीएसडीएस के साथ मिलकर किया है.

सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों ने बेरोजगारी को सबसे बड़ा मुद्दा बताया है. सिर्फ रोजगार ही नहीं, सर्वे में राजनीतिक पार्टियों, सरकार और किसानों पर राय जानने की भी कोशिश हुई है. सर्वे की खास बातें यहां हैं.

किसानों के लिए कौन सी पार्टी बेहतर?

सर्वे के मुताबिक 32 फीसदी किसानों की राय है कि यूपीए सरकार, एनडीए से बेहतर है. वहीं 36 फीसदी का मानना है कि दोनों में कोई फर्क नहीं है. 23 फीसदी किसानों की राय है कि एनडीए सरकार, यूपीए से बेहतर है. सवाल जब किसानों के बारे में सोचने वाली पार्टी के बारे में हुआ तो बीजेपी और कांग्रेस दोनों बराबरी पर हैं. सर्वे में हिस्सा लेने वाले 22-22 फीसदी लोगों ने माना की ये पार्टियां किसानों के बारे में सोचती है. वहीं 22 फीसदी लोगों का ही मानना है कि कोई पार्टी किसानों के बारे में नहीं सोचती.

सर्वे के मुताबिक, 53 फीसदी किसानों को लगता है कि अच्छे दिन नहीं आए, वहीं 41 फीसदी का मानना है कि अच्छे दिन आ चुके हैं.

जीएसटी, नोटबंदी पर क्या है जनता की राय?

जीएसटी के लागू होने के बाद से ही इसके सही या गलत होने पर बहस चल रही है. इसी बहस को आगे बढ़ाते हुए सर्वे में जीएसटी पर राय मांगी गई. 44 फीसदी लोगों ने इसपर अपनी मुहर लगाई है वहीं सर्वे में हिस्सा लेने वाले 30 फीसदी लोगों को ये फैसला सही नहीं लगता. नोटबंदी को 48 फीसदी लोग सही फैसला मानते हैं.

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