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केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने पीएम नरेंद्र मोदी के हालिया ब्रिटेन दौरे के बारे में एक दिलचस्प जानकारी दी है. सुषमा ने बताया कि पीएम मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे से भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को भारत को सौंपने की मांग की थी. तब थेरेसे ने पूछा था, ''माल्या को किस जेल में रखेंगे?''
सुषमा ने बताया कि पीएम मोदी ने इस सवाल का करारा जवाब दिया था. मोदी ने थेरेसा से कहा, ''भारत की जेलें वही हैं, जहां आपने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के नेताओं- जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी और सरदार पटेल को रखा था. ”
सुषमा स्वराज ने बताया, “पीएम मोदी ने थेरेसा मे से कहा था कि भारत के भगोड़े जब लंदन आते हैं, तो उनको भारत वापस भेजने की प्रक्रिया बहुत लंबी है, जो ठीक नहीं है. माल्या के केस में ब्रिटेन की अदालत ने ये आवाज उठाई है कि हम भारतीय जेल देखने आएंगे.''
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने के मौके पर अपने मंत्रालय की उपलब्धियां बताईं. सुषमा स्वराज ने कांग्रेस के इस आरोप को खारिज कर दिया कि विदेश मंत्रालय मुख्य तौर पर पीएमओ शिफ्ट हो गया है और विदेश मंत्री सिर्फ ट्विटर हैंडल बचा है. उन्होंने कहा कि लोगों की दिक्कतों को हल करना उनकी पहली जिम्मेदारी है.
पाकिस्तान के साथ बातचीत के मुद्दे पर सुषमा स्वराज ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद का साथ नहीं छोड़ता, इसलिए तब तक बातचीत मुमकिन नहीं.
उन्होंने कहा, ‘‘हम पाकिस्तान से बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं, लेकिन आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते. पाकिस्तान जब तक आतंकवाद का रास्ता नहीं छोड़ता, उसके साथ बातचीत नहीं हो सकती.''
हालांकि उन्होंने माना कि भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार आतंकवाद के विषय पर बातचीत करते हैं.
स्वराज ने पाकिस्तान के ‘गिलगित-बाल्टिस्तान आदेश, 2018' को लेकर भी ऐतराज जताया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हमेशा इतिहास के साथ छेड़छाड़ करता है.
‘‘पाकिस्तान हमें इतिहास और भूगोल पढ़ाने की कोशिश करता है. यही वह देश है, जो कानून के शासन में यकीन नहीं करता. मैं उसके जवाब के लिए बस एक बात कहूंगी, देखिए कौन बोल रहा है.''
भारत ने रविवार को दिल्ली में पाकिस्तान के उप उच्चायुक्त सैयद हैदर को तलब किया था और पाकिस्तान के कदम पर कड़ा एतराज किया था. उसने कहा था कि उसके ‘जबरन और अवैध कब्जे' वाले क्षेत्र के किसी भी हिस्से की स्थिति बदलने के किसी भी कदम का कोई कानूनी आधार नहीं है.
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