Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019तारे जमीं पर: जब सीरिया के बच्चों ने ख्वाबों - खयालों में भरे रंग

तारे जमीं पर: जब सीरिया के बच्चों ने ख्वाबों - खयालों में भरे रंग

बम के धमाकों के बीच इन बच्चों की आवाज शायद ही दुनिया तक पहुंच पाती, अगर ये तस्वीरें न होतीं.

तेजस अल्हाट
भारत
Updated:
UNICEF ने सीरिया की बदहाली के बीच इन बच्चों के मन की बात जानने के लिए उनसे  ड्रॉइंग करवाई (फोटो: ट्विटर/<a href="https://twitter.com/UNICEF/status/851537801011134467">@UNICEF</a>)
i
UNICEF ने सीरिया की बदहाली के बीच इन बच्चों के मन की बात जानने के लिए उनसे ड्रॉइंग करवाई (फोटो: ट्विटर/@UNICEF)
null

advertisement

सीरिया में आम लोगों का जीवन बदरंग हो चुका है. 6 सालों से लगातार जंग से जूझते लोग तबाह हो चुके हैं. इसके बावजूद जिंदगी अभी भी वहां के बच्‍चों की आंखों में उम्‍मीद बनकर चमक रही है.

इन बच्चों के दिल का हाल जानने के लिए UNICEF ने उनके हाथों में कागज और रंग दे दिए, फिर उन्‍हें अपने ख्वाबों-खयालों को रंग देने को कहा.

ये रही इनकी तस्‍वीरें, जहां दिन-रात जिंदगी दम तोड़ रही है. तबाह मकानों के बीच कहीं-कहीं अब भी मुस्‍कुरा रही है जिंदगी.

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)

मैं एक घर चाहता हूं जिसमें दो खिड़कियां और एक दरवाजा हो: अब्दुलमाजीद, 13

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)

मैं अपने टेडी बियर को मिस करती हूं, जो मेरे कजन ने जन्मदिन पर मुझे दिया था. वह मेरे घर पर ही छूट गया: गजल, 10 साल

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)

मैंने कई सारे फल बनाए हैं, जैसे केले, संतरे और मैंडरिन. मुझे ये फल खाए काफी दिन बीत गए हैं. शादी, 11 साल

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)

मैं एक बड़े घर में रहना चाहती हूं, जिसमें मेरे परिवारवालों और दोस्तों के लिए जगह हो: फातिमा, 5 साल

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)

वो एक बड़ी और साफ जगह है, जहां हरी घास, पेड़ और फूल हैं: अमार (6 साल ) का सपना

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

मुझे स्पोर्ट्स पसंद है, खासकर स्विमिंग. मेरी ख्वाहिश है कि मैं स्विमिंग सीखूं और एक तेज स्विमर बनूं: खालिद, 13 साल

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)

सीरिया दर्द में है, क्योंकि लोग एक-दूसरे की जान के दुश्मन हैं: हनीन, 11 साल

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)

मैं उन छोटे बच्चों के बारे में सोचती रहती हूं, जिनके किंडरगार्टन पर बम आ कर गिरा: अमाल, 12

(फोटो: ट्विटर/@UNICEF)

जंग को इतने करीब से देखते हुए खौफ से इनका पाला तो रोज पड़ता ही रहता है. किसी ने इसमें दोस्तों को खोया है, तो किसी ने परिवारवालों को. उनकी इन ड्रॉइंग में वो दर्द साफ झलकता है.

जंग में इनके स्कूल और घर भी तबाह हो गए, तभी तो नन्ही उंगलियों ने उम्मीदों को कसकर पकड़ा हुआ है.

बम के धमाकों के बीच इन बच्चों की आवाज शायद ही दुनिया तक पहुंच पाती, अगर ये तस्वीरें न होतीं.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 11 Apr 2017,07:25 PM IST

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT