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तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से महीनों पहले मुख्य विपक्षी पार्टी DMK ने 20 दिसंबर को अपनी चिर-विरोधी AIADMK के खिलाफ एक कैंपेन लॉन्च किया. ये कैंपेन AIADMK सरकार के 'शासन की कमी' को लेकर शुरू किया गया है और इसमें NEET संबंधी सुसाइड की घटनाओं का भी जिक्र है.
चेन्नई में DMK हेडक्वार्टर्स में पार्टी नेताओं से बात करते हुए एमके स्टालिन ने आने वाले चुनावों में कड़ी मेहनत करने की बात कही. स्टालिन ने कहा कि चुनाव के बाद पार्टी सत्ता में आएगी और DMK ही लोगों के भले के लिए काम कर सकती है.
स्टालिन ने कहा, "हम जीतेंगे लेकिन दूसरे लोग इस जीत को आसान नहीं होने देंगे. हमें मेहनत करनी है और इसके लिए अच्छे से कैंपेन करना है. हम कितनी मेहनत करेंगे, यही हमारी जीत की सीमा तय करेगा." स्टालिन ने कहा कि पार्टी 1996 और 2004 के चुनावों की तरह ही इस बार ऐतिहासिक जीत का लक्ष्य रखती है.
स्टालिन ने आरोप लगाया कि AIADMK 'पैसे की ताकत' पर चल रही है और राज्य में मीडिया संगठन DMK के खिलाफ काम कर रहे हैं. उन्होंने पार्टी सदस्यों से निजी दुश्मनी भूलकर जीत सुनिश्चित करने की अपील की.
स्टालिन ने बताया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता 16,000 से ज्यादा गांवों और वार्डों का दौरा करेंगे और 'ग्राम सभाएं' करेंगे. स्टालिन ने रजनीकांत की राजनीतिक एंट्री पर संकेत देते हुए कहा कि 'कुछ लोग DMK को हराने के लिए पार्टी लॉन्च कर रहे हैं.'
DMK 2011 से सत्ता से बाहर है और आगामी चुनावों में वापसी के लिए पूरा जोर लगा रही है.
जिस दिन DMK ने अपना कैंपेन लॉन्च किया, उसी दिन दिलचस्प रूप से सीएम के पलानीस्वामी ने सालेम जिले के अपने गृह क्षेत्र एडापड्डी से अपना चुनावी कैंपेन भी शुरू किया.
उदयनिधि और कनिमोझी जैसे DMK नेताओं ने कैंपेन शुरू कर दिया है जबकि स्टालिन अभी वर्चुअल मीटिंग कर रहे हैं. ये DMK सुप्रीमो रहे करूणानिधि और AIADMK की प्रमुख रहीं जयललिता की मौत के बाद हो रहे पहले चुनाव होंगे.
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