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टीडीपी और वाईएसआर कांग्रेस ने केंद्र में बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया है. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं मिलने की वजह ये दोनों पार्टियां नाराज है. और अब अन्य दलों के समर्थन के साथ ऐसा करना चाहती है.
इन्हें प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस और कुछ अन्य दलों का भी समर्थन मिला है. अगर ये अविश्वास प्रस्ताव सदन में पेश हो जाता है तो मोदी सरकार के खिलाफ पहला अविश्वास प्रस्ताव होगा.
अविश्वास प्रस्ताव लोकसभा में विपक्षी पार्टी की तरफ से सरकार के खिलाफ लाया जाने वाला एक प्रस्ताव है. जब विपक्षी दलों में से किसी पार्टी को ऐसा लगता है कि सरकार के पास बहुमत नहीं है या सदन का विश्वास खो चुकी है. वैसी स्थिति में पार्टी की तरफ से ये प्रस्ताव लाया जाता है. यह केवल लोकसभा में ही लाया जा सकता है.
अविश्वास प्रस्ताव में अगर सरकार के विपक्ष में ज्यादा वोट पड़ गए. मतलब कि सदन में मौजूद कुल सदस्यों में से आधे से एक ज्यादा ने अगर सरकार के खिलाफ वोट दिया तो, उस स्थिति में सरकार गिर जाती है.
भारतीय ससंदीय इतिहास में सबसे पहली बार पंडित जवाहर लाल नेहरु की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था. अगस्त 1963 में जे बी कृपलानी ने संसद में नेहरु सरकार के खिलाफ प्रस्ताव रखा था. लेकिन इसके पक्ष में केवल 62 वोट पड़े थे. जबकि प्रस्ताव के विरोध में 347 वोट.
मोदी सरकार के पिछले चार साल के कार्यकाल में पहली बार उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जा रहा है.
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