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देश में इंटरनेट का इस्तेमाल बिना किसी प्रतिबंध और भेदभाव के किया जा सकेगा. दूरसंचार आयोग ने बुधवार को दूरसंचार नियामक आयोग (ट्राई) की अनुशंसा पर नेट न्यूट्रैलिटी को मंजूरी दे दी है. नए नियमों के मुताबिक, मोबाइल ऑपरेटर, इंटरनेट प्रोवाइडर और सोशल मीडिया कंपनियां इंटरनेट कंटेंट और स्पीड को लेकर उपभोक्ता के साथ भेदभाव नहीं कर पाएंगी. ट्राई ने अनुशंसा की थी कि सर्विस प्रोवाइडर को ऐसा कोई अनुबंध करने से रोका जाए, जो यूजर के साथ पक्षपात करता हो.
नियमों के उल्लंघन या इंटरनेट की सुविधा देने के मामले में किसी भी तरह का भेदभाव करने पर कड़े दंड का प्रावधान किया गया है. अब कोई भी मोबाइल ऑपरेटर या इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंटेंट उपलब्ध कराने से लेकर इंटरनेट की स्पीड के मामले में किसी खास या पसंदीदा वेबसाइट को तरजीह नहीं दे पाएंगी.
दूरसंचार आयोग ने ट्राई की ओर से सुझाए गए नेट न्यूट्रैलिटी के नियमों को मंजूरी दी. इसके तहत कुछ एप्लीकेशन को छोड़कर बाकी सेवाओं के लिए सर्विस प्रोवाइडर द्वारा किसी संस्था विशेष को ज्यादा इंटरनेट स्पीड उपलब्ध कराने की इजाजत नहीं मिलेगी.
दूरसंचार सचिव अरुणा सुंदरराजन ने कहा, 'आयोग ने ट्राई की ओर से सुझाए गए नेट न्यूट्रैलिटी को मंजूरी दे दी है. लेकिन केवल कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं को इसके दायरे से बाहर रखा जाएगा. आयोग ने नई दूरसंचार नीति के नाम से चर्चित नेशनल डिजिटल कम्यूनिकेशन पॉलिसी-2018 को भी मंजूरी दे दी है. अब इसे सरकार की मंजूरी के लिए कैबिनेट के सामने पेश किया जाएगा.'
ट्राई ने पिछले साल नवंबर महीने में जारी अपनी सिफारिशों में सर्विस प्रोवाइडर द्वारा ऐसे समझौते किए जाने पर पाबंदी लगा दी थी, जिनमें इंटरनेट पर कंटेंट के साथ भेदभाव किया जाता हो. लेकिन पब्लिक इंटरनेट के बजाय केवल इंटरनेट प्रोटोकॉल का इस्तेमाल करने वाली कुछ सेवाओं को इस पाबंदी से छूट दी गई थी.
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