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केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर के लिए कई ऐलान किए हैं, जिससे कंपनियों को राहत मिलने की उम्मीद है. सरकार ने बकाया AGR (ए़डजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू) पर चार साल के मॉरेटोरियम (छूट) को मंजूरी दी है. इसके अलावा, टेलीकॉम इंडस्ट्री को बूस्ट करने के लिए ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी FDI निवेश को भी अनुमति दी गई है.
टेलीकॉम मंत्री अश्विणी वैष्णव ने इस मौके पर कहा, "पीएम ने आज AGR पर एक साहसिक फैसला लिया. AGR की परिभाषा को रेशनलाइज बनाने का फैसला लिया गया है. सभी नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू AGR से अलग किए जाएंगे."
इसका मतलब है कि अब नॉन-टेलीकॉम रेवेन्यू को AGR में शामिल नहीं किया जाएगा.
AGR यानी Adjusted Gross Revenue, दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिग फीस है. इसके दो हिस्से हैं- स्पेक्ट्रम यूसेज चार्ज और लाइसेंसिंग फीस.
DOT का कहना है कि AGR की गणना किसी टेलीकॉम कंपनी को होने वाले संपूर्ण आय या रेवेन्यू के आधार पर होनी चाहिए, जिसमें डिपोजिट इंटरेस्ट और एसेट बिक्री जैसे गैर टेलीकॉम स्रोत से हुई आय भी शामिल है. दूसरी तरफ, टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि AGR की गणना सिर्फ टेलीकॉम सेवाओं से होने वाली आय के आधार पर होनी चाहिए.
सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में ऑटोमैटिक रूट से 100 फीसदी फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट (FDI) की घोषणा की है. अभी तक, ऑटोमैटिक रूट से केवल 49 फीसदी FDI निवेश की अनुमति दी गई थी और उसके बाद सरकारी रूट से ही जाना होता था.
मौजूदा पॉलिसी के कारण, चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के निवेशकों पर 100 फीसदी ऑटोमैटिक रूट लागू नहीं होगा. अप्रैल 2020 में, सरकार ने घरेलू बिजनेस के अधिग्रहण को विफल करने के लिए भारत के साथ सीमा साझा करने वाले देशों से FDI पर नियम लागू किए थे.
इसके अलावा, स्पेक्ट्रम उपयोगकर्ता शुल्क को युक्तिसंगत बनाया जाएगा और अब मासिक के बजाय दरों की वार्षिक चक्रवृद्धि के तौर पर गणना होगी. स्पेक्ट्रम को अब सरेंडर किया जा सकता है और दूरसंचार कंपनियों द्वारा साझा भी किया जा सकता है.
सरकार ने दूरसंचार कंपनियों की इस महत्वपूर्ण आवश्यकता के बारे में अधिक निश्चितता देने के लिए स्पेक्ट्रम नीलामी का कैलेंडर बनाने का भी निर्णय लिया है. आमतौर पर नीलामी किसी वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में की जा सकती है.
(IANS के इनपुट्स के साथ)
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