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पीएम ने एक अभूतपूर्व बात कही है. इस बार उन्होंने ‘बी’ शब्द का इस्तेमाल किया है, इससे पाकिस्तान को सख्त नफरत है. ‘बलूचिस्तान’ पाकिस्तान के लिए शुरू से नासूर रहा है. पीएम मोदी ने लालकिले के प्राचीर से इस मुद्दे को सबके सामने लाकर पाकिस्तान की दुखती रग को छेड़ दिया है.
लेकिन, बलूचिस्तान कहां है?
क्या भारत इस मामले में हस्तक्षेप कर रहा है? किस तरह से बलूच के लोग इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं? क्या यह भारत-पाक रिश्तों को भी प्रभावित करेगा? आइए जानते हैं बलूचिस्तान से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें :
बलूचिस्तान पाकिस्तान के 4 प्रांतों में से एक है. यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है जो लगभग 44% हिस्से को कवर करता है. इस इलाके की आबादी तकरीबन 1.3 करोड़ है, जो पाक की आबादी का 7% है. यहां रहने वाले लोगों को बलूच कहा जाता है. बलूचिस्तान को ‘ब्लैक पर्ल’ या ‘काला मोती’ भी कहा जाता है. तेल, गैस, तांबे और सोने जैसी प्राकृतिक संपदाओं की यहां भरमार है.
बलूचिस्तान का मतलब है ‘बलूच की धरती’. इस प्रांत को चार राजसी हिस्सों में बांट दिया गया और बलपूर्वक पाकिस्तान में इसका विलय करा दिया गया. 1948 में विलय के समय बलूच लोगों ने यह बात भी कही थी कि यदि मुस्लिम आबादी होने की वजह से हमें पाकिस्तान में मिलाया जा रहा है तो अफगानिस्तान और ईरान को क्यों नहीं?
प्रकृतिक रूप से सम्पन्न होने के बावजूद यह हिस्सा सबसे ज्यादा पिछड़ा है. बलूच लोग सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से पाकिस्तान के बाकी हिस्से से काफी अलग हैं, ऐेसे में वे खुद को पंजाबियों के हाथ में शोषित महसूस करते हैं.
बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी पाकिस्तान का टेररिस्ट ग्रुप है. यह खास तौर पर बलूच अलगाववादी समूह के रूप में जाना जाता है. इस ग्रुप ने पाकिस्तान सुरक्षा एजेंसी और नागरिकों पर कई हमले कराए हैं.
भारत ने लंबे समय तक इस बात का ख्याल रखा कि वह अन्य देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देगा. यही कारण है कि भारत ने कभी इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर बलूचिस्तान का मामला नहीं उठाया, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान कश्मीर के मामले को लगातार भड़का रहा है.
पाकिस्तान ने कई बार भारत पर आतंकवादी गतिविधियां चलाने और बलूच राष्ट्रवादियों की मदद करने का आरोप लगाया है. लगभग 10 दिन पहले जब क्वेटा में हुए आतंकवादी हमले में करीब 50 लोगों की मौत हो गई तो बलूचिस्तान के सीएम ने इसके लिए भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनलेसिस विंग) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था.
हालांकि पाकिस्तान इसे लेकर कोई भी सबूत नहीं दे पाया है.
भारत ने अपनी पूर्व की नीति में अचानक बदलाव के संकेत दिए हैं. नवाज शरीफ ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कश्मीर का जिक्र किया तो पीएम मोदी ने भी बलूचिस्तान का जिक्र कर दांव ही उल्टा कर दिया है. इसकी उम्मीद तो पाकिस्तान ने भी नहीं की होगी. पाकिस्तान का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने बलूचिस्तान के लोगों का धन्यवाद दिया.
पीएम मोदी की स्पीच के बाद पाकिस्तान परेशान है. पाकिस्तानी पीएम के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि भारत ‘कश्मीर में चल रहे घटनाक्रम’ से दुनिया के लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है.
बलूचिस्तान के बलूच राष्ट्रवादी संगठन और यूरोप/यूएस के बलूच राष्ट्रवादियों ने भी पीएम नरेंद्र मोदी के इस कदम का स्वागत किया है.
एक तरफ जहां बीजेपी का मानना है कि पीएम का यह कदम भारत को एक बेहतर पॉजिशन में लाकर खड़ा कर देगा, वहीं कांग्रेस का मानना है कि बलूचिस्तान के मुद्दे को छेड़कर पीएम ने पीओके के मसले को कमजोर किया है.
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