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बलूचिस्तान विवाद: 10 सबसे जरूरी बातें जो आपको अभी जान लेनी चाहिए

बलूचिस्तान विवाद आखिर क्या है? क्या बलूचिस्तान के लोग भी पाकिस्तान में रहना नहीं चाहते? 

आशीष दीक्षित
भारत
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 पाकिस्तान आर्मी के विरोध में हथियार उठाए हुए बलूच लोग. (फोटो: रॉयटर्स)
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पाकिस्तान आर्मी के विरोध में हथियार उठाए हुए बलूच लोग. (फोटो: रॉयटर्स)
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पीएम ने एक अभूतपूर्व बात कही है. इस बार उन्‍होंने ‘बी’ शब्‍द का इस्‍तेमाल किया है, इससे पाकिस्तान को सख्त नफरत है. ‘बलूचिस्तान’ पाकिस्तान के लिए शुरू से नासूर रहा है. पीएम मोदी ने लालकिले के प्राचीर से इस मुद्दे को सबके सामने लाकर पाकिस्तान की दुखती रग को छेड़ दिया है.

लेकिन, बलूचिस्तान कहां है?

क्या भारत इस मामले में हस्तक्षेप कर रहा है? किस तरह से बलूच के लोग इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं? क्या यह भारत-पाक रिश्‍तों को भी प्रभावित करेगा? आइए जानते हैं बलूचिस्तान से जुड़ी 10 महत्वपूर्ण बातें :

1. पाकिस्तान का 44 फीसदी हिस्सा बलूचिस्तान

यदि पाकिस्तान में से बलूचिस्तान अलग किया जाए तो पाक का क्षेत्रफल लगभग आधा हो जाएगा. (इमेज: आशीष दीक्षित)

बलूचिस्तान पाकिस्तान के 4 प्रांतों में से एक है. यह पाकिस्तान का सबसे बड़ा राज्य है जो लगभग 44% हिस्से को कवर करता है. इस इलाके की आबादी तकरीबन 1.3 करोड़ है, जो पाक की आबादी का 7% है. यहां रहने वाले लोगों को बलूच कहा जाता है. बलूचिस्तान को ‘ब्लैक पर्ल’ या ‘काला मोती’ भी कहा जाता है. तेल, गैस, तांबे और सोने जैसी प्राकृतिक संपदाओं की यहां भरमार है. 

2. बलूच का राष्‍ट्रवाद

बलूचिस्तान के जाफराबाद जिले में बाढ़ के दौरान एक बलूच परिवार. पाकिस्तान पर इस इलाके को तवज्जो न देने और शोषण करने का आरोप लगता रहा है. (फोटो: रॉयटर्स)

बलूचिस्तान का मतलब है ‘बलूच की धरती’. इस प्रांत को चार राजसी हिस्सों में बांट दिया गया और बलपूर्वक पाकिस्तान में इसका विलय करा दिया गया. 1948 में विलय के समय बलूच लोगों ने यह बात भी कही थी कि यदि मुस्लिम आबादी होने की वजह से हमें पाकिस्तान में मिलाया जा रहा है तो अफगानिस्तान और ईरान को क्यों नहीं?

प्रकृतिक रूप से सम्पन्न होने के बावजूद यह हिस्सा सबसे ज्यादा पिछड़ा है. बलूच लोग सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से पाकिस्तान के बाकी हिस्से से काफी अलग हैं, ऐेसे में वे खुद को पंजाबियों के हाथ में शोषित महसूस करते हैं.

बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी पाकिस्तान का टेररिस्ट ग्रुप है. यह खास तौर पर बलूच अलगाववादी समूह के रूप में जाना जाता है. इस ग्रुप ने पाकिस्तान सुरक्षा एजेंसी और नागरिकों पर कई हमले कराए हैं.

3. पाकिस्तान की क्रूरता

मुताहिदा कौमी मूवमेंट (MQM) की बलूच महिला समर्थक कराची में बलूचिस्तान के पॉलिटिकल एक्टिविस्ट की हत्या का विरोध करते हुए. (फोटो: रॉयटर्स)
‘बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए काफी संवेदनशील मुद्दा है. यह इतना गंभीर है कि जब मैंने बलूच अधिकारों के लिए लड़ने वाले मामा कादिर बलूच का इंटरव्यू किया जो अपने 3000 रिश्‍तेदारों के लिए क्वेटा से इस्लामाबाद पैदल गए थे, तो मुझे सुरक्षाबलों ने तकरीबन 1 घंटे तक अपने कब्जे में रखा था. उनका कहना था कि मैंने ‘एंटी पाकिस्तान’ इंटरव्यू किया है. 
मीना मेनन, पाकिस्तान में द हिंदू की पूर्व पत्रकार

4. भारत का संयमित कदम

इस तस्वीर में दिख रही बलूच बस की तरह ही, इसका राष्‍ट्रीय आंदोलन भी पिछले सात साल से अलग-थलग और खराब दौर से गुजर रहा है. (फोटो: रॉयटर्स)

भारत ने लंबे समय तक इस बात का ख्याल रखा कि वह अन्य देशों के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देगा. यही कारण है कि भारत ने कभी इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म पर बलूचिस्तान का मामला नहीं उठाया, वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान कश्‍मीर के मामले को लगातार भड़का रहा है.

5. भारत की रॉ डील?

बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में बॉम्ब ब्लास्ट की एक तस्वीर. पाकिस्तान ने बलूच में ‘शांति विरोधी’ गतिविधियों के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया है. (फोटो: रॉयटर्स)

पाकिस्तान ने कई बार भारत पर आतंकवादी गतिविधियां चलाने और बलूच राष्‍ट्रवादियों की मदद करने का आरोप लगाया है. लगभग 10 दिन पहले जब क्वेटा में हुए आतंकवादी हमले में करीब 50 लोगों की मौत हो गई तो बलूचिस्तान के सीएम ने इसके लिए भारत की खुफिया एजेंसी रॉ (रिसर्च एंड एनलेसिस विंग) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया था.

हालांकि पाकिस्तान इसे लेकर कोई भी सबूत नहीं दे पाया है.

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6. मोदी ने दबाया ‘बी’ बटन

भारत ने अपनी पूर्व की नीति में अचानक बदलाव के संकेत दिए हैं. नवाज शरीफ ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कश्मीर का जिक्र किया तो पीएम मोदी ने भी बलूचिस्तान का जिक्र कर दांव ही उल्टा कर दिया है. इसकी उम्मीद तो पाकिस्तान ने भी नहीं की होगी. पाकिस्तान का नाम लिए बगैर पीएम मोदी ने बलूचिस्तान के लोगों का धन्यवाद दिया.

7. पाकिस्तान आगबबूला

पीएम मोदी की स्पीच के बाद पाकिस्तान परेशान है. पाकिस्तानी पीएम के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि भारत ‘कश्‍मीर में चल रहे घटनाक्रम’ से दुनिया के लोगों का ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है.

8. बलूचिस्तान ने भारत की पहला का किया स्वागत

बलूचिस्तान के बलूच राष्‍ट्रवादी संगठन और यूरोप/यूएस के बलूच राष्‍ट्रवादियों ने भी पीएम नरेंद्र मोदी के इस कदम का स्वागत किया है.

भले ही यह मामला कश्‍मीर की स्थिति को ध्यान में रखते हुए सामने आया हो, लेकिन इसके बाद भी यह बलूच के लोगों की बात इंटरनेशनल फोरम तक पहुंचाने में मदद करेगा. क्योंकि बलूचिस्तान इंटरनेशनल सपोर्ट हासिल करने के लिए लंबे समय से कोशिश कर रहा है. मोदी दुनिया में अकेले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने बलूचिस्तान और वहां के संघर्ष पर बात की है. यह एक अच्छी शुरुआत है. अब हमें यह देखना है कि इंडिया बलूचिस्तान के मुद्दे को आधिकारिक नीति के रूप में उठाता है या यह सिर्फ पाकिस्तान को परेशान करने का एक तरीका है. 
मलिक सिराज अकबर, एडिटर, द बलूच हल 

9. क्या काम करेगा प्लान ‘बी’ ?

एक तरफ जहां बीजेपी का मानना है कि पीएम का यह कदम भारत को एक बेहतर पॉजिशन में लाकर खड़ा कर देगा, वहीं कांग्रेस का मानना है कि बलूचिस्तान के मुद्दे को छेड़कर पीएम ने पीओके के मसले को कमजोर किया है.

यह पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब है, जो लगातार जम्मू और कश्‍मीर के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी करने की कोशिश कर रहा है. हम बलूचिस्तान में आंदोलन की बात नहीं कर रहे हैं. हम मानवाधिकारों की बात कर रहे हैं, जहां बलात्कार और हत्या के हजारों मामले सामने आए हैं. पाकिस्तान को खुद अपना जलता घर नहीं दिख रहा है. पीएम ने दृढ़ता के साथ अपनी बात दोहराई है, जिसे करने में यूपीए ने हमेशा संकोच किया है.
विजय चौथाईवाले, इनचार्ज, फॉरेन अफेयर्स (बीजेपी)

10. भारत-पाक संधि पर असर?

भारत अब तक पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बचा है, लेकिन अब भारत को लगता है कि यह नैतिक आधार उसके लिए फायदेमंद नहीं हैं. एक भारतीय प्रधानमंत्री का बलूचिस्तान पर बात करना अद्वितीय है. वहीं मोदी ने अपनी पूर्व की लाहौर यात्रा का भी जिक्र नहीं किया है, शायद सरकार की नजर में यह एक गलती हो.
सुहासिनी हैदर, डिप्लोमेटिक अफेयर्स एडिटर, द हिंदू

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