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28 फरवरी, 2002 को हुआ था गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड
गुलबर्ग सोसायटी के 69 लोगों की हत्या की गई थी
मामलें मे कुल 66 लोग आरोपी बनाए गए
2 जून, 2016 को कुल 24 लोगों को दोषी करार दिया गया
17 जून को आया फैसला, 11 दोषियों को उम्रकैद हुई
12 दोषियों को 7 साल की सजा, 1 व्यक्ति को 10 साल की सजा
गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड में सजा का ऐलान हो चुका है. 14 साल के लंबे इंतजार के बाद मामले में फैसला आया है.
कुल 24 आरोपियों में से 11 को उम्रकैद और 12 को 7 साल की सजा मिली है. वहीं एक आरोपी को कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है.
इन 24 आरोपियों मे से 11 को हत्या ,1 व्यक्ति को हत्या के प्रयास और 12 को दूसरे मामलो में दोषी करार दिया गया है.
गौरतलब है 2 जून, 2016 को अदालत ने 66 आरोपियों में से 24 को दोषी करार दिया, जबकि 36 को बरी कर दिया था. 6 आरोपियों की मौत केस चलने के दरम्यान ही हो गई थी.
फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने फैसले पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि वे उनके वकीलों से आगे की प्रक्रिया के लिए फिर से संपर्क करेंगी. उनके मुताबिक मामले में ज्यादातर लोगों को उम्रकैद की सजा मिलनी चाहिए थी.
यह घटना में गोधरा कांड के एक दिन बाद हुई थी. 27 फरवरी, 2002 को गोधरा रेलवे स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच को जला दिया गया था. घटना में 58 कारसेवकों की मौत हो गई थी.
गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड गुजरात दंगों के उन 9 मामलों में से एक है, जिसकी जांच सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एसआईटी कर रही है.
इस मामले में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी आरोप लगे थे. 2010 में हुई पूछताछ के बाद एसआईटी ने उन्हें क्लीनचिट दे दी थी.
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